Ganesh Chaturthi 2025: पर्यावरण ही असली देवता! दाल से सजे गणपति बप्पा
Ganesh Chaturthi 2025: इस साल गणेश उत्सव 27 अगस्त से शुरू हो गया है। यह उत्सव 6 सितंबर तक मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस पर्व का खास महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इन 10 दिनों तक भगवान गणेश हर घर में विराजते हैं। गणेश उत्सव खास तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है। जगह-जगह पर घरों और पंडालों में भगवान गणेश की स्थापना होती है। आगे आप देखेंगे महाराष्ट्र के वाशिम जिला स्थित कारंजा शहर में बप्पा की एक अनोखी और इको फ्रेंडली झलक। जो सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है।
दाल से बने भगवान गणेश (Ganesh Chaturthi 2025)
भाजी बाजार परिसर के श्री बलहौसी गणेश मंडल ने इस साल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली भगवान गणेश की प्रतिमा बनाई है। जिसमें भगवान गणेश पूरी तरह से दाल से सजे हुए हैं।
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10 से 12 दालों का इस्तेमाल
अक्सर हम सभी दालों को खाने में इस्तेमाल (Ganesh Chaturthi 2025 Images) करते हैं। लेकिन, महाराष्ट्र स्थित इस मंडल ने इन्हीं दालों से बप्पा की भव्य प्रतिमा को तैयार किया है। खास बात है कि इसमें 10 से 12 तरह की दाले इस्तेमाल की गई है।
8 फीट ऊंची प्रतिमा (Ganesh Chaturthi 2025 Celebration)
भगवान गणेश की प्रतिमा करीब 8 फीट ऊंची है और इसका वजन 100 किलो का है। बप्पा के हाथ में लड्डू है और हाथों के नाखून और गहने भी दालों से ही बनाए गए हैं। मूर्ति की खूबसूरती से कारीगरों की मेहनत का पता लग पा रहा है। यह प्रतिमा कारीगर अमित करे ने बताई है। जिनका कहना है कि इसके लिए पहले मिट्टी से ढांचा तैयार किया गया था और फिर उस पर अलग-अलग तरह की दालों चिपकाई गई थी। बप्पा की मूर्ति बनाने में 15 दिन लगे थे।
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पर्यावरण ही असली देवता
मंडल के सदस्य सुमित (eco-friendly ganesh murti maharashtra) ने कहा है कि बाकी मंडलों को भी डीजे और सजावट पर फिजूल खर्ची से बचना चाहिए। इसकी जगह उन्हें इको-फ्रेंडली मूर्तियां बनानी चाहिए। उनके अनुसार पर्यावरण ही असली देवता है और इसे बचाना हर किसी का फर्ज और जिम्मेदारी है।