Rajiv Pratap: पत्रकार राजीव के शव को देख उठे मौत पर कई सवाल
Rajiv Pratap: भारत में पत्रकारों की स्थिति खतरे में है। धमकियां, उत्पीड़न, हमले और मौतें। इंडिया प्रेस फ्रीडम एनुअल रिपोर्ट 2023 के मुताबिक पिछले साल भारत में पांच पत्रकारों की मौत हुई और 226 पत्रकारों को टारगेट किया गया था। टारगेट करने वालों में राजनीतिक दल, गैर राजनीतिक दल और क्रिमिनल तत्व शामिल थे।
एक अध्ययन द्वारा बताया गया है कि 1992 के बाद से लगभग 47 पत्रकारों की मौतें भारत में हो चुकी हैं। इनमें से अधिकांश दबाव और हमले या फिर खतरों से जुड़ी हुई हैं।
राजीव प्रताप केस: कौन से तथ्य है स्पष्ट? (Rajiv Pratap)
राजीव प्रताप नामक डिजिटल पत्रकार, जो दिल्ली उत्तराखंड लाइव प्लेटफार्म चलाते थे। वह 18 सितंबर की रात से उत्तरकाशी से लापता थे। उनका वाहन 19 से 20 सितंबर को भागीरथी (Rajiv Pratap uttarkashi journalist) नदी में क्षतिग्रस्त अवस्था में मिला था। इसके बाद 28 सितंबर को उनका शव जोशियाड बैराज के पास भागीरथी नदी में बरामद हुआ।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छाती और पेट की अंदरूनी चोटे पाई गई। बहारी हमले के कोई भी स्पष्ट निशान नहीं मिले हैं। पुलिस की शुरुआती जांच से अनुमान लगाया गया है कि यह संभव है की यह एक दुर्घटना हो सकती है।
परिजनों ने क्या कहा?
राजीव प्रताप की 9 महीने पहले ही शादी हुई थी। उनकी पत्नी वर्तमान में 7 महीने की गर्भवती है। परिजनों ने दावा किया है कि राजीव को कुछ रिपोर्ट के बाद धमकियां मिल रही थी। जिसे उन्होंने नजरअंदाज नहीं किया। राजीव प्रताप की रिपोर्टिंग छानी गई तो सामने आया कि उन्होंने आखिरी बार उत्तरकाशी के जिला अस्पताल की कमियों को उजागर किया था। उनके परिजनों का कहना है कि उन्हें कुछ फोन कॉल्स आए थे जिनमें कहा गया था कि उस वीडियो को हटा दो और स्टोरी मत लिखो।
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दुर्घटना में नहीं लगती ऐसी चोट (Rajiv Pratap News Update)
पत्रकार राजीव प्रताप के घर वालों का कहना है कि केवल कार दुर्घटना होने से ऐसी चोटे नहीं लगती है। सोशल मीडिया पर राजीव प्रताप के शव की फोटो वायरल हो रही है। जिसको लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि- जिस नदी में कपड़े उतर गए हो और व्यक्ति पूर्णतः नग्न हो। वहां पत्थर या नदी की धारों से बाहरी चोट हो सकती थी- लेकिन ऐसी कोई बाहरी चोट स्पष्ट रूप से रिपोर्ट में नहीं दिखी। इसके अलावा नदी के बहाव से उनके सारे कपड़े उतर गए लेकिन उनका अंडरवियर कैसे रह गया?
इन वजहों से साजिश की आशंका
ऐसा कई बार हुआ है जब सच उजागर करने वाले पत्रकार को डराया गया या फिर मार दिया गया है। पत्रकार राजीव प्रताप के द्वारा की गई रिपोर्टिंग को अगर कोई भी आम व्यक्ति देखेगा तो वह यह बात स्पष्ट रूप से बोलेगा कि वह एक ईमानदार और सच्चाई दिखाने वाले पत्रकार थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार, अस्पताल की बदहाली (Rajiv Pratap uttarkashi journalist news) आदि से जुड़े वीडियो प्रकाशित किए थे। ऐसे मामले में उन पर दबाव बनाया गया और धमकियां भी मिल रही थी। ऐसा किसी भी सच दिखाने वाले पत्रकार के साथ हो सकता है। और उन्हें समय पर सुरक्षा या सरकारी हस्तक्षेप ना मिले तो स्थिति बदतर हो सकती है। राजीव प्रताप के मामले में हमने यह साफ तौर पर देख लिया है।
राजीव प्रताप का शव मिलने की जगह और वाहन मिलने की जगह के बीच की दूरी भी संदेह करने वाली है। वाहन क्षतिग्रस्त हालत में था और नदी के किनारे पाया गया। लेकिन वाहन कुछ दिनों बाद बरामद हुआ। बाहरी चोटों का ना होना और पानी और पत्थर वाली स्थिति में थोड़ा असंगत लगता है। खासकर तब जब कपड़े शरीर पर ना हो और शरीर नदी में मौजूद हो।
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SIT को सौंपी जांच की जिम्मेदारी (Rajiv Pratap News Latest)
मामले को बड़ा होता देख और जनता की आवाज को बढ़ता देख सरकार ने फैसला लिया कि एसआईटी टीम इस मामले की जांच करेगी। लेकिन अभी भी परिवार की शिकायत है कि उन्होंने धमकियों की रिपोर्ट अधिकारियों को दी थी। पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
विपक्ष ने उठाएं सवाल
विपक्ष नेताओं ने सवाल उठाए हैं और सीबीआई की मांग की है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी राजीव प्रताप की मौत पर सवाल उठाया है। राजनीति से जुड़े लोगों से लेकर राजीव प्रताप के परिजन और स्थानीय लोगों ने स्थानीय जाँच से संतुष्टि नहीं जताई है।