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Har Ki Pauri: गंगा के बीच रेलवे ट्रैक! क्या हरिद्वार वाले इसके बारे में जानते हैं?

Har Ki Pauri: हर साल दिवाली से पहले गंग नहर बंद की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य गंगा की सफाई करना होता है। इस वर्ष दशहरा से लेकर 19 अक्टूबर तक गंग नहर बंद रहेगी। इसके बाद हर की पौड़ी के पास गंगा के बीच रेत में अंग्रेजों के शासनकाल में बिछाई गई रेलवे लाइन नजर आ रही है। यह रेलवे लाइन साल 2024 में पहली बार नजर आई थी। इस साल भी हरिद्वार रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद यह ट्रैक लोगों के मन में कौतुहल का विषय बन गया है।

कब बना था ट्रैक? (Har Ki Pauri)

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1850 के आसपास गंगनहर के निर्माण कार्य के दौरान इस ट्रैक पर चलने वाली हाथ गाड़ी का इस्तेमाल निर्माण सामग्री होने के लिए किया जाता था। भीमगोडा बैराज (haridwar latest news) से लाल कोठी तक डैम और गठबंधन बनाए जाने का काम पूरा होने के पश्चात अंग्रेजी अफसर निरीक्षण करने के लिए इस गाड़ी पर सवार होकर आते थे। यह जानकारी उत्तर प्रदेश विभाग के अधिकारी द्वारा दी गई थी।

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लॉर्ड डलहौजी का बड़ा प्रोजेक्ट

इस विषय में जानकारी रखने वालों के द्वारा बताई गई बातों के अनुसार गंग नहर (Har Ki Pauri Railway Track) लॉर्ड डलहौजी का एक बड़ा प्रोजेक्ट था। जिसे इंजीनियर कोटले की सुपरविजन में तैयार किया गया था। हरिद्वार में ब्रिटिश काल में कई ऐसे बड़े निर्माण भी किए गए हैं। जिनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इतिहासकारों का दावा है कि रुड़की कलियर के पास भारत की पहली रेल लाइन बिछाई गई थी। लेकिन, इसे पहले रेलवे लाइन के रूप में पहचान नहीं मिल पाई।

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क्रेन ले जाने के लिए होता था इस्तेमाल (Har Ki Pauri News)

अन्य जानकारों का कहना है कि पहले के समय में हरिद्वार में ज्यादा बारिश आने पर बाढ़ की स्थिति बन जाती थी। अंग्रेजों द्वारा गंगा जी की धाराओं को कंट्रोल करने के लिए जगह बड़े-बड़े बांध बनाए गए थे। बांध के दरवाजे मोटी और भारी लकड़ी से बनाए जाते थे। जिन्हें उठाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया जाता था। इस काम (haridwa railway track in ganga) के लिए भी क्रेन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए अंग्रेजों द्वारा यह ट्रैक बनाया गया था। यह ट्रैक 4 से 5 किलोमीटर लंबा है जो वीआईपी घाट से लेकर लाल कोठी और आगे तक है।

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