Rishikesh News: रामयण काल से जुड़ा योग नगरी ऋषिकेश का नाता
Rishikesh News: उत्तराखंड की तीर्थ और योग नगरी ऋषिकेश में सतयुग से ही ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। ऋषिकेश में स्थित प्राचीन श्री भरत मंदिर में रैभ्य ऋषि और सोम ऋषि ने भगवान विष्णु का ध्यान किया और तपस्या ली थी। भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे और उन्हें दर्शन दिए थे। भगवान विष्णु का एक और नाम ऋषिकेश भी है। जिसकी वजह से इस जगह का नाम ऋषिकेश पड़ा है।
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श्री भरत मंदिर (Rishikesh News)
आठवीं सदी के दौरान शंकराचार्य ने शालिग्राम से बने हुए भगवान नारायण की मूर्ति को मंदिर में पुनर्स्थापित किया था। इसके अलावा एक श्री यंत्र भी लगाया था। भरत मंदिर के गर्भ गृह में भगवान नारायण की प्रतिमा के ठीक ऊपर गुंबद है। जिस पर आपको श्रीयंत्र दिख जाएगा। भरत मंदिर के परिक्रमा मार्ग में एक शिवलिंग भी स्थापित किया हुआ है। जिसे पातालेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है। ऋषिकेश में मौजूद पांच विशेष महादेव मंदिरों में से एक इस मंदिर को भी माना जाता है।
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भगवती माहेश्वरी मंदिर की स्थापना
भरत मंदिर के पीछे भाग में मां भगवती का मंदिर मौजूद है। यह मंदिर माता माहेश्वरी मंदिर के नाम से जाना जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दशरथ पुत्र भरत जब नारायण की पूजा के लिए आए थे तो उन्होंने राम द्वारा रावण पर विजय से पहले भगवती माहेश्वरी के मंदिर की स्थापना की थी। स्कंद पुराण के केदारखंड के मुताबिक इस मंदिर को सतयुग में वराह, त्रेता में परशुराम, द्वापर में वामन और कलयुग में भरत नाम से जाना गया है।
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश केवल योग और अध्यात्म का केंद्र नहीं है। बल्कि आस्था और ऐतिहासिक मान्यताओं का भी गढ़ है। ऋषिकेश में मौजूद आस्था स्थलों में से एक है मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर जो त्रिवेणी घाट क्षेत्र में स्थित है। यह हनुमान मंदिर अपनी प्राचीनता और कहानियां के लिए प्रसिद्ध है।