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India and Taliban Relations: क्या भारत तालिबान के करीब जा रहा है?

India and Taliban Relations: अफगानिस्तान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा को लेकर दुनिया भर की नजरे बनी हुई थी। भारत में और भारत से बाहर सभी के मुंह पर एक ही सवाल है कि क्या भारत तालिबान के करीब जा रहा है? अगर ऐसा है तो इसके पीछे क्या वजह है? इन सभी सवालों के बीच यह समझने की जरूरत है कि काबुल हमारे लिए क्या लाया और अपने लिए हमारे यहां से क्या ले गया? पहले काबुल का इतिहास जानते हैं और फिर वर्तमान की जानकारी पढ़ते हैं।

क्या है तालिबान की कहानी? (India and Taliban Relations)

वर्ष 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ ने कब्जा कर लिया था। वह शीत युद्ध का दौर था। अमेरिका ने पाकिस्तान के माध्यम से विद्रोहियों का समूह तैयार किया था। जिसे अफगान मुजाहिदीन कहा गया। अमेरिका ने इसे हथियार दिए और धन दौलत दी ताकि सोवियत संघ को हराया जा सके। परिणाम स्वरूप सोवियत संघ को अफगानिस्तान छोड़ना पड़ा। इस मुजाहिदीन समूह में से एक और समूह उभर गया जो तालिबान कहलाता है।

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तालिबान ने कैसे सत्ता हथियाई?

तालिबान ने सत्ता हथियाली और अमेरिका पर हमला करने वाले ओसामा बिन लादेन को अपने यहां पनाह दी। इसके बाद आक्रोशित होकर अमेरिका ने हमला किया। तालिबान को हरा दिया गया लेकिन विडंबना ऐसी रही कि ओसामा बिन लादेन को मारने का अपना लक्ष्य पूरा करने के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से चला गया और सत्ता तालिबान के हाथ आ गई।

रूस ने दी तालिबान को मान्यता (India and Taliban News)

तालिबान के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद केवल रूस ने ही उसे मान्यता दी है। भारत समेत दुनिया के तमाम देशों ने मान्यता देने से परहेज किया है। इतना सब होने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि तालिबान से भारत के रिश्ते फिर क्यों आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वही तालिबान है जिसने भारत से हाईजैक किए गए विमान को काबुल में उतरने दिया था। जिसमें उनकी मांग थी कि भारत को मसूद अजहर, इब्राहिम और मुस्तफा अहमद जैसे कुख्यात आतंकवादियों को काबुल पहुंचाना पड़ेगा। सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत अपने उन दोनों को भूल गया है?

दुश्मन के दुश्मन को दोस्त मानना

इन सब विडंबनाओ के बीच कई विशेषज्ञ अपनी जानकारी दे रहे हैं। उनका कहना है कि कभी ऐसी स्थिति भी पैदा हो जाती है जब दुश्मन के दुश्मन को दोस्त मानकर गले लगाना पड़ता है। भारत वर्तमान में इसी स्थिति में है। इस समय पाकिस्तान पर तालिबान ने हमला बोला हुआ है। अफगानिस्तान में फैली बदहाली के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार माना जा रहा है। दूसरी तरफ चीन चालाकी से तालिबान के सत्ता में आते ही उसके साथ रिश्ते जोड़ने में लग गया है। ऐसी हालत में भारत के सामने रिश्ते का हाथ बढ़ाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है।

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तालिबान और भारत के मुद्दे (Taliban News)

  • कश्मीर मुद्दे को लेकर तालिबान ने हस्तक्षेप नहीं किया।
  • पहलगाम की घटना के बाद ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी तालिबान ने भारत के पक्ष में बयान दिया है।

इन सब के बाद भारत ने मुत्ताकी की यात्रा को एक अवसर की तरह लिया। मुत्ताकी ने अफगानिस्तान शासन की तरफ से बड़ा भरोसा दिया है कि भारत के खिलाफ अफगानिस्तान की धरती का उपयोग नहीं होने दिया जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान हमेशा से यही चाहता रहा कि अफगानिस्तान से भारत के खिलाफ कुछ हो। दूसरी ओर पाकिस्तान अंदर ही अंदर इस्लामिक स्टेट को मदद पहुंचा रहा हो सकता है। जिससे तालिबान को बड़ा खतरा है। लेकिन, अभी तक इस्लामिक स्टेट भारत में पैर नहीं पसार पाया है। भारत और तालिबान में बढ़ती नजदीकी कहीं ना कहीं भारत के लिए सुरक्षित है। क्योंकि काबुल वालों ने भारत को सुरक्षा की दृष्टि से सहयोग करने का भरोसा दिया है।

तालिबान को भारत से क्या फायदा

भारत को सुविधा पहुंचाने के साथ-साथ अफगानिस्तान चाहता है कि उसे भारत से यह भरोसा मिले कि अफगानिस्तान के बकराम एयर बेस को अमेरिका के चंगुल में नहीं जाने दिया जाएगा।

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