Mahashivratri के दिन ऋषिकेश के इन पांच शिव मंदिरों में करें पूजा
Mahashivratri: देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश (rishikesh tourism) योग नगरी के नाम से जानी जाती है। ऋषिकेश में सुंदर घाट और पवित्र मंदिर भी हैं। ऋषिकेश में लोग हर साल लाखों की संख्या में घूमने और मंदिरों में दर्शन के लिए आते हैं। ऋषिकेश में भगवान शिव के भी बहुत से मंदिर स्थापित है। इस महाशिवरात्रि (Mahashivratri)आप भगवान शिव के इन पवित्र मंदिरों में जाकर दर्शन कर सकते हैं। आगे पढ़ते हैं शहर में स्थित पांच प्राचीन और प्रमुख शिव मंदिरों (rishikesh shiv temples) के बारे में।
भूतेश्वर महादेव मंदिर
राम झूले से थोड़ी दूरी पर प्राचीन भूतनाथ मंदिर स्थित है। इस मंदिर को भूतेश्वर महादेव (bhootnath temple) के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने जब माता सती संग विवाह किया था, तब उनके ससुर राजा दक्ष ने भगवान शिव को उन्हें बारात संग इसी मंदिर में ठहराया था। बारात में देवगण, भूत और जानवर सभी मौजूद थे जिन्होंने इसी मंदिर में एक रात बिताई थी।
सोमेश्वर महादेव मंदिर
सोमेश्वर महादेव (someshwar mahadev mandir) मंदिर ऋषिकेश के गंगानगर में स्थित है। सतयुग में सोम ऋषि (Mahashivratri 2025 upay) ने इसी स्थल पर तपस्या की थी। इसके बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिए थे। साथ ही उनके कोई भी वरदान ना मांगने पर भगवान शिव ने इस स्थान को सोमेश्वर का ही नाम दे दिया था। उस समय से यह स्थान सोमेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यहां पर भोलेनाथ ने धरती से शिवलिंग प्रकट किया और इस स्थान को सिद्ध पीठ घोषित किया था।
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चंद्रेश्वर महादेव मंदिर
ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर, चंद्रभागा में चंद्रेश्वर महादेव (chandreshwar temple)मंदिर स्थित है। आदिकाल में भगवान चंद्रमा को श्राप मिला था। इसके बाद चंद्रमा इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए ऋषिकेश के इसी स्थान पर पहुंचे थे। भगवान चंद्रमा ने गंगा किनारे शिव जी की आराधना की थी। इसके बाद महादेव ने उन्हें एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में दर्शन दिए और श्राप से मुक्त करवाया था।
वीरभद्र मंदिर
ऋषिकेश के आमबाग आईडीपीएल कॉलोनी में वीरभद्र मंदिर (veerbhadra temple) स्थित है। मान्यतानुसार इस मंदिर में भगवान शिव ने वीरभद्र का क्रोध शांत करवाया था और तब से वीरभद्र शिवलिंग के रूप में यहां पर विराजमान है। उस समय से ही यह मंदिर वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 1,300 साल पुराना है।
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नीलकंठ महादेव मंदिर
नीलकंठ महादेव (neelkanth temple) ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समुद्र मंथन से निकले विष कालकूट को उन्होंने अपनी हथेली पर समेट कर पी लिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी शक्ति के प्रभाव से उसे विष को अपने कंठ तक ही सीमित रखा और गले से नीचे नहीं जाने दिया। इसलिए इस मंदिर को नीलकंठ महादेव मंदिर कहा जाता है।