Covid-19 Test Scam: उत्तराखंड में धर्म और आस्था के बीच फर्जीवाड़े की कहानी
Covid-19 Test Scam: हरिद्वार कुंभ-2021 के दौरान कोवीड टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले में ईडी ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज समेत 14 आरोपी शामिल हैं। कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए आगामी 24 जून के लिए सुनवाई निर्धारित की है। इतने सालों से चला आ रहा यह मामला आखिर क्या है इसके बारे में विस्तार से आगे पढ़े।
साल 2021 में हरिद्वार में आयोजित हुए भव्य कुंभ मेले में जहां लाखों श्रद्धालु देश भर से पहुंचे थे। वहीं उस आस्था के समंदर के बीच एक ऐसा घोटाला सामने आया जिसने न केवल जनता की जान से खिलवाड़ किया बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। देवभूमि उत्तराखंड (uttarakhand news) में कुंभ-2021 में कोविड टेस्टिंग का बड़ा घोटाला हुआ था।
क्या था पूरा मामला?
उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, कुंभ मेले के दौरान प्रतिदिन कम से कम 50,000 कोविड-19 टेस्ट किए जाने थे। लेकिन जांच में सामने आया कि करीब 1 लाख से ज्यादा टेस्ट रिपोर्ट फर्जी थी। कई रिपोर्ट्स उन लोगों के नाम पर बनाई गई थी जो मेले में कभी पहुंचे ही नहीं।
सरकार की प्रक्रिया (Covid-19 Test Scam)
राज्य सरकार ने तुरंत प्रभाव से जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के एंगल से भी इस पूरे घोटाले की जांच शुरू कर दी। कई लैब्स के दफ्तर और डायरेक्टर्स के घरों पर छापेमारी भी की गई। प्रवर्तन निदेशालय इससे पहले कई जगह दबिश देकर दस्तावेज जताने के साथ ही पूर्व में संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई भी कर चुकी है। इसके बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
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क्या हुई कार्रवाई?
कार्रवाई में दो अधिकारियों को सस्पेंड किया गया। संबंधित लैब पर एफआईआर दर्ज की गई। 13 करोड़ रुपए से अधिक की फर्जी बिलिंग की जांच जारी है। मामले को लेकर कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी सख्त कार्रवाई की मांग की।
कौन-कौन था शामिल? (Covid-19 Test Scam Update)
जांच में मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, नलवा लैबोरेट्रीज, डॉक्टर लालचंदानी लैब्स, नोवस लैब्स जैसे नाम सामने आए। इन सभी पर बिना सैंपल लिए फर्जी रिपोर्ट बनाने का आरोप है। इन लैब ने एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर, एक जैसा पता और एक जैसे पहचान पत्र का प्रयोग कर कई रिपोर्ट्स जारी की।
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जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़
यह घोटाला केवल सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी नहीं बल्कि एक ऐसे वक्त में हुआ जब देश कोविड (Covid-19 Testing Scam) की दूसरी लहर की मार झेल रहा था। इस घोटाले ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की साख और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गहरा आघात किया है। कुंभ जैसे धार्मिक आयोजनों की गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखने की जिम्मेदारी केवल आस्था तक सीमित नहीं होती है। इस तरह के घोटाले आस्था के नाम पर लापरवाही और लाभ के लिए जान के साथ खिलवाड़ का काला अध्याय है। जरूरत है कि सरकार केवल जांच तक सीमित ना रहें बल्कि सख्त दंड और लंबी अवधि की निगरानी की व्यवस्था स्थापित करें।