Uttarakhand Forest Fire: पिछले 5 सालों की अपेक्षा 10% से कम जले जंगल
Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन इस बार मौसम की मेहरबानी और वन विभाग द्वारा पहले से की गई तैयारी के कारण जंगल पिछले 5 सालों की अपेक्षा 10% से कम जले हैं। नैनीताल वन विभाग (nainital van vibhag) के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी ने यह जानकारी दी है। उनका कहना है कि कम जंगल जलने से नैनीताल समेत आसपास के जंगलों में प्राकृतिक वन संपदा और वन्य जीव सुरक्षित हैं।
15,506 पेड़ों को काटा जाएगा (Uttarakhand Forest)
नैनीताल वन विभाग के डीएफओ चंद्रशेखर जोशी (DFO Chandrashekhar Joshi) ने बताया कि नैनीताल वन विभाग में अब तक 32 स्थान पर आग लगने की घटनाएं हुई है। जिसमें 26.6 हेक्टेयर जंगल जल और 28 घटनाएं आरक्षित वन क्षेत्र में हुई है। जहां 19.6 हेक्टेयर जंगल जले है। उन्होंने बताया कि कई सालों के बाद पहली बार वन विभाग ने फॉरेस्ट फायर क्षेत्र में आने वाले वृक्षों को चिन्हित कर करीब 345 पेड़ों को काटा है। इन वृक्षों की वजह से आग को नियंत्रित करने में दिक्कतें आती थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फायर लाइन में आने वाले वृक्षों को काटने की अनुमति के बाद नैनीताल के बड़ोन रेंज के 2.11 किमी के दायरे में 345 पेड़ों को काटा गया है। इसके अलावा 15,506 पेड़ों को काटने के लिए चिन्हित भी किया गया है।
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वन विभाग ग्राम समितियां के साथ कर रहा काम
वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग (Uttarakhand Forest Fire) को नियंत्रित करने के लिए ग्राम समितियां के साथ मिलकर काम कर रहा है। अब तक नैनीताल (nainital news) के 99 गांव में 99 समितियां को जोड़कर स्थानीय ग्रामीणों को आग बुझाने का प्रशिक्षण दिया गया। परिणाम स्वरूप इस फायर सीजन के दौरान जंगलों में लगे छुटपुट आग की घटनाओं को उन्होंने नियंत्रित किया। इन समितियां को प्रोत्साहित किए जाने के लिए फायर सीजन के दौरान 30,000 प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है। जिससे समितियां के माध्यम से जंगलों में लगने वाली आग को जल्द नियंत्रित किया जा सके।
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