धार्मिक

10 June Panchang 2025: आज का शुभ-अशुभ समय और राहुकाल 

10 June Panchang 2025: आज 10 जून 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस दिन अनुराधा नक्षत्र और सिद्ध योग का संयोग रहेगा। दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11: 46 -12:40 मिनट तक है। राहुकाल दोपहर 15:33 − 17:13 मिनट तक रहेगा। चंद्रमा राशि में वृश्चिक संचरण करेंगे।

आई पढ़ते हैं 10 जून का पंचांग (10 June Panchang 2025)। जानते हैं पंचांग के पांच अंगों यानी तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण के बारे में। आज कौन सा समय आपके लिए शुभ होगा और आज राहुकाल का क्या समय है?

तिथिचतुर्दशी11:34 तक
नक्षत्रअनुराधा17:52 तक
प्रथम करणवणिजा11:34 तक
द्वितीय करण विष्टि24:25 तक
पक्षशुक्ल  
वारमंगलवार 
योगसिद्ध13:34 तक
सूर्योदय05:33 
सूर्यास्त19:53 
चंद्रमा वृश्चिक 
राहुकाल15:33 − 17:13 
विक्रमी संवत्2082 
शक संवत1947विश्वावसु
मासज्येष्ठ 
शुभ मुहूर्तअभिजीत11:46 − 12:40

पंचांग के पांच अंग

नक्षत्र (10 June Panchang 2025)

आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्र के नाम- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, मघा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, स्वाति, अनुराधा, जयेष्ठा, मूल, पूर्वषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र है। 

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वार (panchang today)

वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात बार होते हैं। यह सात बार ग्रहण के नाम से रखे गए हैं- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 

योग (10 June ka Panchang)

नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण (aaj ki tithi)

एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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