Dehradun News: वन विभाग पर उठी उंगली! ₹10 का पौधा ₹100 में खरीदा
Dehradun News: उत्तराखंड में वन विभाग सवालों के घेरे में आ गया है। दरअसल, वन विभाग ने ₹10 का पौधा ₹100 में खरीदा। यह भारी अंतर तब सामने आया जब मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षण को एक पत्र भेजा। यह पत्र इंडिया टुडे के हाथ लग गया और उसके बाद यह गड़बड़ी सबके सामने आई।
वन विभाग पर उठी उंगली (Dehradun News)
मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने अपने पत्र में इस पूरे मामले की तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है। देहरादून के झाझरा क्षेत्र में मियावाकी की पद्धति से पौधारोपण के लिए 3 साल की अवधि में ₹52.40 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से खर्च का प्रस्ताव तैयार किया गया था। यह वही तकनीक है जिससे 2020 में कालसी क्षेत्र में पौधारोपण किया गया था और उसे समय केवल खर्च ₹11.86 लाख प्रति हेक्टेयर आया था।
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₹10 का पौधा 100 में खरीदा
प्रोजेक्ट में सबसे चौंकाने वाली बात है कि 18,333 पौधों के लिए ₹100 (van vibhag plants scam dehradun) प्रति पौधा की दर से ₹18.33 लाख खर्च दिखाया गया है। जबकि 2020 में इसी प्रोजेक्ट में यही पौधे ₹10 प्रति पौधा की दर से लगाए गए थे। चौंकाने वाली बात है कि एक ही काम है और एक ही विभाग है। लेकिन, खर्च 10 गुना कैसे हो गया? इतना ही नहीं इसके अलावा भी कई ऐसे मदों में खर्च दिखाया गया है जो निर्धारित दरों की तुलना में अत्यधिक और संदेह वाला है।
क्या है Miyawaki पौधारोपण प्रोजेक्ट?
यह तकनीक जापान के पर्यावरणविद प्रोफेसर अकीरा मियावाकी (Miyawaki Method) द्वारा विकसित की गई है। इसके तहत कम समय में घना और जैव विविधता से भरपूर और स्वाभाविक जंगल तैयार किया जाता है। इसमें स्थानीय प्रजातियों के पौधों को बहुत पास लगाया जाता है जिससे वह तेजी से बढ़ते हैं और कुछ ही वर्षों में जंगल जैसा रूप ले लेते हैं।
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2020 का कलसी प्रोजेक्ट (uttarakhand van vibhag)
कालसी क्षेत्र में 2020 (kalsi 2020 Miyawaki project) में इसी तरह से पौधारोपण किया गया था। जिसकी लागत सिर्फ ₹11.86 लाख प्रति हेक्टेयर आई थी। उस दौरान उसे समय के डीजी फॉरेस्ट सीपी गोयल ने इस काम की तारीफ थी और कहा था कि यह मियावाकी की तकनीक का एक बहुत बढ़िया प्रयोग है। उनका यह भी कहना था कि इस प्रोजेक्ट से जो सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं उन्हें देश के अन्य हिस्सों में भी अपनाया जा सकता है।