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Mahakumbh में इस मंदिर के जरूर करें दर्शन, वरना अधूरी मानी जाएगी यात्रा

Mahakumbh: महाकुंभ एक ऐसा महापर्व है जहां जाने के लिए हर व्यक्ति बेचैन रहता है। पूरे 12 सालों के लंबे इंतजार के बाद महाकुंभ आता है। जहां सौभाग्यशाली लोग ही पहुंच पाते हैं। महाकुंभ (Mahakumbh 2025 Date) मेले से प्रत्येक व्यक्ति की गहरी आस्था जुडी हुई है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग महाकुंभ मेले में आते हैं। वर्ष 2025 में संगम नगरी प्रयागराज महाकुंभ मेले के लिए तैयार है।13 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले का आरंभ होगा। प्रयागराज को तीर्थ का राजा भी कहा जाता है। इस वजह से प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ बेहद विशेष है। प्रयागराज (prayagraj)में तीन पवित्र नदी गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। यहां कहीं ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है जहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। आगे हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। एक ऐसा मंदिर जहां संगम में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु दर्शन करने जरूर जाते हैं। मान्यता अनुसार इस मंदिर के दर्शन के बिना संगम यात्रा अधूरी रह जाती है। 

इस मंदिर में जरूर करें पूजा (Mahakumbh Prayagraj)

संगम के किनारे एक किला स्थित है। किले के अंदर एक ऐसा वृक्ष है जिसे लेकर बहुत सी मान्यता जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष के दर्शन से ही भक्तों के सभी पाप मिट जाते हैं। यहां बात की जा रही है ‘अक्षय वट’ की। अक्षय वट पवित्र बरगद का पेड़ है। जहां प्रभु राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ विश्राम किया था। यह वट वृक्ष त्रेता युग की गवाही देता है। इस वजह से यह वृक्ष लोगों की आस्था से जुड़ गया है। संगम (mahakumbh mela)स्नान के बाद तीर्थ यात्री अक्षय वट मंदिर जरूर आते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस वृक्ष के नीचे भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण ने तीन दिनों तक विश्राम किया था। ऐसा कहा जाता है कि जब पूरी धरती जलमग्न हो जाएगी तब उस समय भी अक्षय वट का अस्तित्व कायम रहेगा। 

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महाकुंभ 2025 स्नान की प्रमुख तिथियां (Mahakumbh Mela Dates)

 13 जनवरी 2025 – पौष पूर्णिमा

 14 जनवरी 2025 – मकर संक्रांति

 29 जनवरी 2025 – मौनी अमावस्या

 03 फरवरी 2025 –  बसंत पंचमी

 12 फरवरी 2025 – माघी पूर्णिमा

 26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि

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