हरिद्वार

Haridwar News: चार दिन से बंद सुरेश्वरी देवी मंदिर मार्ग! उफान पर रौ-नदी

Haridwar News: हरिद्वार में कितने दिनों से भीषण बारिश हो रही है। रौ-नदी के उफान से चार दिन से मन सुरेश्वरी देवी मंदिर का मार्ग भी बंद है। जिस वजह से हरिद्वार आ रहे श्रद्धालुओं को मां सुरेश्वरी देवी के दर्शन करने नहीं दिया जा रहा है। उन्हें मंदिर मार्ग के गेट से ही वापस लौटना पड़ रहा है।

जंगल के बीच मंदिर (Haridwar News)

राजाजी टाइगर रिजर्व के जंगल में मां सुरेश्वरी देवी का ऐतिहासिक पौराणिक मंदिर है। मंदिर में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु देश के अलग-अलग हिस्सों से आते हैं। लेकिन, मंदिर राजाजी के जंगल में होने से शाम 5:00 बजे तक ही श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। मंदिर जाने के लिए लोगों को नदी पार करनी होती है। जब बरसात का मौसम नहीं होता तो नदी आराम से पार हो जाती है।

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बारिश के चलते उफान पर नदी

रविवार से हो रही बारिश के कारण रौ-नदी ही तूफान पर है। जिस वजह से एहतियात के तौर पर राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से मंदिर मार्ग के गेट को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया है। गेट पर फॉरेस्ट गार्ड भी तैनात किए गए हैं। जो श्रद्धालुओं को मंदिर में नहीं जाने दे रहे हैं। जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को गेट खुलने का इंतजार करना पड़ेगा।

रेंजर विजेंद्र दत्त ने की जानकारी (Haridwar News Latest)

राजाजी टाइगर रिजर्व हरिद्वार के रेंजर विजेंद्र दत्त तिवारी ने जानकारी दी है की मां सुरेश्वरी मंदिर जाने के लिए नदी में पानी ज्यादा होने की वजह से श्रद्धालुओं को खतरा हो सकता है। जिस वजह से किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा है।

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देवराज इंद्र से जुड़ा मंदिर

घने जंगलों में सिद्ध पीठ सुरेश्वरी देवी मंदिर सुरकोट पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर प्रसिद्ध सिद्धपीठों में गिना जाता है। जिसका उल्लेख स्कंद पुराण के केदारखंड में है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां श्रद्धा भक्ति भाव से आकर माता के दर्शन करने वाले भक्तों के कष्टों को मां सुरेश्वरी देवी दूर कर देती है। मां सुरेश्वरी देवी के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है।

सुरेश्वरी देवी मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्ग लोक से निष्कासित होकर देवराज इंद्र ने देवगुरु बृहस्पति के परामर्श से इस स्थल पर साधारण मानव की भांति मां भगवती की पूजा-साधना की थी। जब इंद्रदेव राजा रजी के पुत्र से डर कर क्षीरसागर में छुप गए तब उन्होंने देवगुरु बृहस्पति की आराधना की थी। इसके बाद गुरु बृहस्पति ने इंद्रदेव को विष्णु भगवान की स्तुति करने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु ने इंद्र को गंगा के दक्षिण भाग में सुकून पर्वत पर जाकर माता की आराधना करने को कहा था। इसके बाद इंद्रदेव ने साधारण मानव का रूप धारण करके माता की स्तुति की। ऐसा कहा जाता है कि इंद्र का नाम सुरेश भी है। इसलिए माता का नाम यहां सुरेश्वरी पड़ा था। सुरेश्वरी माता देवताओं की देवी है।

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