Hemkund Sahib Yatra: 200 वर्षों तक गुमनाम रहा हेमकुंड साहिब, जानें इतिहास
Hemkund Sahib Yatra: हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलेंगे। 22 मई को पंच प्यारों के नेतृत्व में पहला जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना होगा। लक्ष्मण झूला रोड स्थित गुरुद्वारे से यात्रियों के जत्थे को शुभकामनाएं देते हुए रवाना किया जाएगा। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यात्रा पर जाने वाले वाहनों को हरी झंडी दिखाएंगे। इस कार्यक्रम के दौरान संत समाज और शहर के लोग उपस्थित रहेंगे।
सभी तैयारियां हुई पूरी (Hemkund Sahib Yatra 2025)
हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुलने वाले हैं। इसको लेकर तैयारी जोरों पर है। जिलाधिकारी ने पीएमजीएसवाई के अधिकारियों को गोविंदघाट से पुलना तक सड़क के गड्ढे भरने सहित अन्य कार्यों को मिशन मोड में पूरा किया। लोनिवि ने पुलना से हेमकुंड साहिब आस्था पथ पर रेलिंग, साइन बोर्ड और गोविंद घाट में बैली ब्रिज पर वाहन क्षमता का साइन बोर्ड लगाया है। इसके अलावा अटलाकोटी में मेडिकल रिलीफ पोस्ट के प्री फैब्रिकेटेड हट का काम भी पूरा कर लिया गया है।
हेमकुंड साहिब का इतिहास
हिमालय की हसीन नदियों में स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब को सिखों (Hemkund Sahib Yatra Update) के सबसे पवित्र स्थान में से एक माना जाता है। इसकी सुंदरता किसी का भी मन मोह लेती है। ऐसा माना जाता है कि सिखों के दसवँ गुरु- गुरु गोबिंद सिंह ने अपने पिछले जन्म में ध्यान साधना की थी और वर्तमान जीवन लिया था।
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क्यों पड़ा Hemkund Sahib नाम?
हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जो दो शब्दों से हिम अर्थात बर्फ और कुंड अर्थात कटोरा को मिलकर बना हुआ है। गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दशम ग्रंथ के अनुसार यह वह जगह है जहां पांडू राजा अभ्यास योग करते थे। इसके अलावा यह कहा गया है कि जब पांडू हेमकुंड पहाड़ पर गहरे ध्यान में थे तो भगवान ने उन्हें गुरु गोबिंद सिंह के रूप में यहां पर जन्म लेने का आदेश दिया था।
हेखोज के पीछे रोचक कथा (Hemkund Sahib History)
हेमकुंड की खोज के पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि यह जगह दो से अधिक सदियों तक गुमनामी में रही। गुरु गोबिंद सिंह जी ने आत्मकथा बिचित्र नाटक में इस जगह के बारे में बताया तब यह अस्तित्व में आई। पंडित तारा सिंह नरोत्तम हेमकुंड की भौगोलिक स्थिति का पता लगाने वाले पहले सिख थे। इसका वर्णन 508 सिख धार्मिक स्थलों में से एक के रूप में किया है। काफी समय बाद प्रसिद्ध सिख विद्वान भाई वीर सिंह ने हेमकुंड के विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की।
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लक्ष्मण भगवान और हेमकुंड साहिब का इतिहास
इस क्षेत्र को बहुत ही पवित्र माना जाता (Hemkund Sahib and Ramayan Connection) है। पहाड़ों से घिरी इस जगह पर एक बड़ा तालाब है। जिस लोकपाल कहा जाता है। लोकपाल का अर्थ होता है लोगों को निर्वाहक। पर्वत चोटियों की चट्टान पर एक निशान साहिब सजा हुआ है। इस पवित्र स्थल का वर्णन रामायण में भी मिलता है। इसके पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां पर लक्ष्मण जी ध्यान पर बैठते थे। जिस वजह से यहां भगवान लक्ष्मण का एक मंदिर मौजूद है।
अन्य मान्यता के अनुसार लक्ष्मण का पूर्ण अवतार शेषनाग थे। माना जाता है कि शेषनाग लोकपाल झील में तपस्या करते थे और विष्णु भगवान उनकी पीठ पर आराम करते थे।
अन्य स्थानीय मान्यता के अनुसार मेघनाद के साथ युद्ध में घायल होने पर लक्ष्मण को लोकपाल झील के किनारे लाया गया था। यहां हनुमान जी ने उन्हें संजीवनी बूटी दी और वह ठीक हो गए। इसके बाद देवताओं ने आसमान से फूल बरसाए थे जिसके बाद यहां फूलों की घाटी बनी।