Iran vs Israel: ईरान या इजरायल किसे चुनेगा भारत?
Iran vs Israel: ईरान और इजरायल के बीच जंग अपने चरम पर पहुंच गई है। दोनों तरफ से जबरदस्त हमले जारी है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि वह जल्द ही दोनों देशों के बीच जंग को रुकवा देंगे। लेकिन, यह बात काफी हास्यपद लग रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप खुद दोनों पक्षों में से एक के साथ खड़े हैं। ऐसे में ईरान उनकी बात पर कैसे भरोसा करेगा यह सवाल हर किसी के दिमाग में है।
काफी दिनों तक जारी रह सकती है जंग (Iran vs Israel)
अनुमान लगाया जा रहा है कि ईरान और इजराइल (Iran vs Israel War) में चल रही जंग काफी दिनों तक रह सकती है। अगर दोनों के बीच युद्ध ज्यादा दिनों तक चल तो दुनिया दो ध्रुवों में एक बार फिर से बंट सकती है। ऐसा होने से भारत को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से रणनीतिक स्वायत्तता और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने पर आधारित है। भारत के ईरान और इसराइल दोनों देशों के साथ गहरे और रणनीतिक संबंध है। दोनों में से किसी एक को चुनना भारत (india relation with iran and israel) के लिए बहुत मुश्किल होगा।
ईरान या इजरायल किसे चुनेगा भारत?
आशंका जताई जा रही है कि भारत किसी एक देश के साथ नहीं जाएगा। भारत अपनी गुटनिरपेक्षता वाली छवि को बनाए रखेगा। हालांकि ऐसी स्थिति भी बन सकती है जिसके चलते भारत को एक पक्ष चुनना पड़ेगा।
किसका साथ दे सकता है भारत? (Iran vs Israel News)
भारत को मजबूरी में अगर ईरान या इजराइल में से किसी को चुनना पड़े तो भारत का क्या रुख रहेगा? यह भविष्य में समीकरण कैसे बनते हैं इस पर निर्भर करता है। रविवार को ईरानी अधिकारियों ने कहा है कि अगर इजराइल परमाणु (iran vs israel military power) हमला करता है तो ईरान की ओर पाकिस्तान इजराइल पर परमाणु हमला करेगा। अगर पाकिस्तान की तरफ से इस तरह का आश्वासन ईरान को युद्ध के दौरान मिलता है तो जाहिर है भारत और ईरान के बीच दूरियां बढ़ेगी।
Israel से भारत की नजदीकी
इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू (israel pm) ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को पूरे घटनाक्रम और अपनी सुरक्षा की जानकारी दी है। जिससे ऐसा लग रहा है कि इजराइल और भारत के बीच ज्यादा नजदीकी है। इजराइल का रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग भारत (india relation with israel) के लिए वर्तमान और भविष्य रणनीतिक के महत्व रखता है। भारत की रक्षा आधुनिकीकरण और आतंकवाद विरोधी नीतियां इजराइल पर निर्भर करती है।
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इजराइल के पक्ष में झुक सकता है भारत (india support iran or israel)
इजरायल की करीबी अमेरिका और पश्चिमी देशों से है। भारत के करीबी भी अमेरिका, यूरोपीय संघ और क्वॉड देश के साथ है। जिसकी वजह से भारत इजराइल के पक्ष में झुक सकता है। इसके अलावा अमेरिका और पश्चिमी देश भी इजरायल की तरफ हाथ बढ़ा सकते हैं। जब इतना सब होगा तो भारत को मजबूरी में एक पक्ष तो चुनना पड़ेगा। हालांकि, भारत ईरान को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकता है। क्योंकि चाबहार बंदरगाह और मध्य एशिया में भारत के हिट ईरान को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाए रखते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर इजराइल का रुख
- इजराइल ने ऑपरेशन सिंदूर (israel on operation sindoor) के दौरान भारत को सैया और तकनीकी सहायता दी थी।
- ऑपरेशन के दौरान इजराइल ने भारत को खुफिया जानकारी और रणनीतिक समर्थन में प्रदान किया था।
- साथ ही पहलगाम हमले की निंदा करते हुए उसे अमानवीय करार देकर भारत के साथ एक झुकता व्यक्त की थी।
- इजराइल ने कश्मीर मुद्दे पर भी भारत का खुलकर समर्थन किया और पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई को सही ठहराया था।
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ऑपरेशन सिंदूर पर ईरान का रुख
- ईरान ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का समर्थन स्पष्ट रूप से नहीं किया था।
- कुछ सोर्सेस और एक्स पोस्ट (iran on operation sindoor) के अनुसार ईरान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया।
- कम से कम तटस्थ रहकर भारत के खिलाफ बयान दिए।
- ईरान ने पहलगाम हम लेकिन निंदा की थी लेकिन कश्मीर मुद्दे पर उसका रुख भारत के लिए सही नहीं रहा है।
- ईरान ने कई बार कश्मीर को विवादित क्षेत्र के रूप में संबोधित किया है जो भारत की संप्रभुता के खिलाफ है।
इससे निष्कर्ष निकलता है कि इजराइल और ईरान के बीच भारत का झुकाव इजरायल की तरफ ज्यादा होगा।