Hindenburg Research के बंद होने के पीछे ट्रंप का हाथ?
Hindenburg Research: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। लेकिन शपथ से पहले ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि यूएस में दो बड़े फैसले लिए गए हैं। एक उदाहरण इजरायल- हमास के बीच सीजफायर पर सहमति होना है। दूसरी ओर दुनिया भर की दिग्गज कंपनियों को निशाना बनाने वाली शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग का बंद होना है।
इजरायल- हमास के बीच सीजफायर पर सहमति (israel-hamas ceasefire)
इसराइल हमास के बीच लंबे समय से युद्ध चल रहा है। लेकिन, ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही दोनों के बीच सीजफायर पर सहमति बन गई है। इस पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बड़ा बयान देते हुए कहा है कि मिडिल ईस्ट में बंधकों की रिहाई पर डील हो गई है और वह जल्द रिहा होंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि युद्ध विराम समझौता नवंबर में हमारी ऐतिहासिक जीत के परिणाम स्वरुप ही हो सका, क्योंकि इसने पूरी दुनिया को संकेत दिया कि मेरा प्रशासन शांति की तलाश करेगा।
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हिंडनबर्ग कंपनी हुई बंद (hindenburg research shutting down)
हिंडनबर्ग साल 2023 में भारत में चर्चा में रहा था। गौतम अदानी की कंपनी अदानी ग्रुप को लेकर जारी की गई रिसर्च रिपोर्ट को लेकर देश भर में काफी चर्चाएं हुई थी। इसके अलावा सेबी की की माधवी पूरी बूच पर भी आरोप लगाए गए थे। यह सभी मुद्दे विपक्ष द्वारा उठाए गए थे और वर्तमान सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया था। इस शॉर्ट सेलर फर्म ने अमेरिका की भी कई दिग्गज कंपनियों को बड़ा झटका देने का काम किया था।
अदानी ग्रुप के शेयर में हुई बढ़ोतरी
अमेरिका में सत्ता के परिवर्तन से पहले ही नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ताकत की झलक देखने को मिली और नाथन एंडरसन (Nathan Anderson)के नेतृत्व वाली हिडेनबर्ग ने शॉर्ट सेलिंग बंद करने का ऐलान कर दिया। साल 2023 में शुरू हुई इस शॉर्ट सेलर कंपनी के शटडाउन की खबर से अदानी ग्रुप को बड़ी राहत मिली है और अडानी के शेयर तेजी से बढ़ते हुए दिख रहे हैं।