Rishikesh में दिल्ली की तर्ज पर “मेट्रो” की जगह “कूड़े का पहाड़” तैयार
Rishikesh: योग नगरी ऋषिकेश भी दिल्ली (Delhi) की तरह बनता जा रहा है। अब आप यह पढ़ कर सो रहे होंगे कि ऋषिकेश आधुनिक बनता जा रहा है। लेकिन, दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो रहा है। दिल्ली की तरह ऋषिकेश आधुनिक नहीं बल्कि गंदा हो गया है। जिस तरह से दिल्ली में कूड़े के पहाड़ मौजूद है ठीक उसी तरह से ऋषिकेश (Rishikesh) में भी कूड़े का पहाड़ बन गया है। करीब 40 से 45 मीटर ऊंचे इस कूड़े के ढेर की गंगा नदी से दूरी केवल 250 मीटर है। यह पर्यावरण और आसपास रह रहे लोगों के लिए गंभीर संकट बन रहा है। वह समय निकट ही है जब लोगों को सांस लेने में भी मुश्किल होने लगेगी।

30 साल से इस कूड़े के निस्तारण नहीं हुआ (Rishikesh Garbage Mountain)
दुर्भाग्यपूर्ण 2 से 3 दशकों में इस कूड़े के निस्तारण को लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने गंभीरता नहीं दिखाई है। इसका परिणाम है कि यह काम होने की जगह और ऊंचा हो गया है। हालांकि, अब सिस्टम नींद से जाग गया है और विशाल पहाड़ रूपी कूड़े के ढेर का निस्तारण करना उनकी मजबूरी भी हो गया है।
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कूड़े का निस्तारण नगर निगम के लिए मुश्किल
ऋषिकेश में कूड़ा निस्तारण को लेकर नगर निगम (Rishikesh Nagar Nigam) ने दैनिक उत्पन्न हो रहे कूड़े के निस्तारण के लिए कूड़ा पृथककरण (कूड़े को अलग करने की प्रक्रिया) और 3r जैसी प्रभावी विधियां अपना तो ली हैं। लेकिन, शहर (Rishikesh News) में पिछले तीन दशक से डंप हो रहे कूड़े का निस्तारण करना नगर निगम के लिए चुनौती बन गया है। कूड़े का पहाड़ इतना ऊंचा हो गया है कि कूड़े को अलग करने की प्रक्रिया बेहद मुश्किल साबित होगी। ऐसा न होने की वजह से ही कूड़ा निस्तारण प्रभावी तरह से नहीं हो पा रहा है।