Russia Cancer Vaccine: कैंसर के खिलाफ पुतिन की जीत! आएगी वैक्सीन
Russia Cancer Vaccine: अब कैंसर से डरने की कोई जरूरत नहीं है। अब ना यह जानलेवा होगा और ना ही इसके इलाज में आपकी जिंदगी भर की कमाई लुटेगी। रूस ने कैंसर की वैक्सीन तैयार की है। अब उसका मानव परीक्षण होने जा रहा है।
कैंसर के खिलाफ पुतिन की जीत (Russia Cancer Vaccine)
कैंसर के खिलाफ वैक्सीन की जंग में पुतिन विजेता बनकर उभर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यह वादा भी किया है कि मानवीय आधार पर यह वैक्सीन पूरी दुनिया को उपलब्ध करवाई जाएगी। इतना ही नहीं शुरुआत में यह वैक्सीन मुफ्त उपलब्ध करवाई जाएगी।
यह भी पढ़ें: India Art and Culture: भारत की पेंटिंग्स पर America क्यों फिदा हैं?
अमेरिका के उड़े होश
सोशल मीडिया में एक बात तेजी से ट्रेंड कर रही है कि रूस की वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोप की फार्मा कंपनियां सदमे में आ जाएंगी। फिलहाल वैक्सीन आने से अमेरिका और यूरोप की कंपनियों के होश उड़े हुए हैं। लेकिन, सवाल उठता है कि आखिर उन्हें इतनी दिक्कत क्यों हो रही है?
क्यों टेंशन में आई अमेरिका फार्मा कंपनियां? (russia-america conflict)
कुछ लोगों ने दावा किया है कि इस वैक्सीन की खबर से पश्चिमी कंपनियों को सदमा लग गया है। उन्होंने तर्क लगाया है कि रूस का मुफ्त वैक्सीन देने का वादा उन देशों को अपनी तरफ खींचेगा जो महंगी अमेरिकी और यूरोपीय दवाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं। ऐसा होने से पश्चिमी देशों की फार्मा कंपनियों की कमाई खत्म हो सकती है। लेकिन यह तर्क समझने के लिए हमको पहले यह जानना होगा कि आखिर कैंसर की दवाओं का व्यापार कितना बड़ा है?
कैंसर की दवाओं का बिजनेस
दुनिया में कैंसर की दवाओं का कारोबार 2022 में 203 अरब डालर था। जो 2018 तक 400 बिलीयन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। अमेरिका और यूरोप की कंपनियां इस बाजार के 70- 80% हिस्से को कंट्रोल कर रही है। सिर्फ अमेरिका ही 40 से 50 फीसदी की हिस्सेदारी कर रही है। फार्मा कंपनियां पेटेंट के जरिए अपनी दवाओं पर एकाधिकार रखती है। जिस वजह से एक स्टेबल इलाज उनकी मौजूदा दबाव के बाजार को प्रभावित कर सकता है। स्टेबल इलाज को ढूंढने से कंपनी मार्केट लीडर बन जाती है।
यह भी पढ़ें: Russia Earthquake: धरती कांपी, समंदर उठा! रूस में क़हर बरपा
महंगी दवाई बेचने का दावा (russia cancer vaccine news)
कुछ लोग यह दावा भी करते हैं कि कुछ फार्मा कंपनी ने पहले सस्ते या वैकल्पिक इलाज को दबाया है जिससे उनकी महंगी दवाई बिकती रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि कैंसर का इलाज काफी महंगा होता है और लंबे समय तक चलता है। जानकारी के अनुसार साल 2020 से 2023 के बीच अमेरिका में एफडीए ने 50 से ज्यादा नै ऑन्कोलॉजी दवाओं को मंजूरी दी है। अगर कंपनियां इलाज रोक रही होती तो उनकी नई दवाएं बाजार में नहीं आती। हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है यह केवल दावा है कि अमेरिका और यूरोपीय कंपनियां जानबूझकर कैंसर का इलाज रोकने की कोशिश कर रही है।
अगले कुछ महीनो में होगा बड़ा बदलाव
3 अगस्त को रूस की सरकारी समाचार एजेंसी से एक रिपोर्ट आई जिसके मुताबिक रूस अगले कुछ महीनो में कैंसर के खिलाफ नई वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू करने वाला है। कोविड-19 के दौरान वैक्सीन स्पूतनिक v बनाने वाले और महामारियों पर काम करने वाले गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक सिकंदर किंग्सबर्ग के मुताबिक यह वैक्सीन पर्सनलाइज्ड होगी। यानी की इसका इस्तेमाल किसी और के लिए नहीं किया जा सकेगा। यह पूरा परीक्षण मास्को स्थित हर्टसन रिसर्च इंस्टिट्यूट और ब्लॉकहीन कैंसर सेंटर में होंगे। गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट वैक्सीन का उत्पादन करेगा।