उत्तराखंड

Shivansh Joshi Death: इलाज के आभाव में सैनिक पिता के बेटे की मौत

Shivansh Joshi Death: राज्य में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। दरअसल, 1 साल के मासूम बच्चे की इलाज में लापरवाही के कारण मौत हो गई है। बच्चा डिहाइड्रेशन से जूझ रहा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार समय पर ध्यान न देने की वजह से और डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बच्चों की जान चली गई। बच्चों की मां उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ती रही लेकिन बच्चे पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।

पिता बॉर्डर पर तैनात (Shivansh Joshi Death)

बच्चों की पहचान आर्मी ऑफिसर दिनेश चंद्र जोशी के बेटे शिवांश जोशी के तौर पर हुई। उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। जब मासूम को इलाज की जरूरत थी तब उसे चार जिलों के पांच अलग-अलग अस्पतालों में रेफर कर दिया गया। हालात इतने खराब थे कि कई जगहों पर डॉक्टर नहीं थे और जहां थे वहां उन्होंने सही तरीके से ध्यान नहीं दिया। शिवांश की मां उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर भगती रही। लेकिन, उसकी हालत धीरे-धीरे गंभीर हुई और फिर मौत हो गई।

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बच्चे की कराई भाग दौड़

प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 जुलाई को अचानक शिवांश (uttarakhand news) की तबीयत खराब हो गई और उसे बार-बार उल्टी हो रही थी। वह अपनी मां का दूध भी नहीं पी पा रहा था। इसके बाद उसकी मां उसे चमोली के ग्वालदम स्थित पब्लिक हेल्थ सेंटर ले गई। लेकिन वहां बच्चों का डॉक्टर नहीं था और ना ही कोई खास सुविधा थी। इसके बाद उसे 22 किलोमीटर दूर बागेश्वर के बैजनाथ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर किया गया। उसका इलाज हुआ लेकिन हालत खराब होने पर उसे 20 किलोमीटर दूर बागेश्वर के जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।

मोबाइल फोन पर व्यस्त के डॉक्टर (Shivansh Joshi Death Case)

बच्चों के पिता भारतीय सेना में कार्यरत है उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में बच्चे पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया और जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर अपने मोबाइल फोन पर व्यस्त थे। इतना ही नहीं वहां की नर्सें भी हंसी मजाक कर रही थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि ना तो डॉक्टरों ने और ना ही किसी और स्टाफ ने उनके घरवालों से ठीक से बात की और बच्चे को भी ठीक से चेक नहीं किया। उसके बाद बच्चे को अल्मोड़ा रेफर कर दिया गया।

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ढाई घंटा लेट पहुंची एंबुलेंस

बच्चे के ब्रेन में ब्लड फ्लो में परेशानी हो रही थी। प्राप्त जानकारी (uttarakhand latest news) के अनुसार दावा किया जा रहा है कि चाइल्ड केयर आईसीयू यूनिट की कमी के कारण डॉक्टर को बच्चे को उच्च केंद्र रेफर करना पड़ा। बच्चे की मां ने दावा किया है कि उन्होंने शाम को 7:00 बजे एंबुलेंस के लिए फोन किया। लेकिन, एंबुलेंस ढाई घंटे की देरी से पहुंची। रात को 9:30 बजे करीब एंबुलेंस आई तो बच्चे को इलाज के लिए चौथे अस्पताल अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां से बच्चे को फिर से हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। 12 जुलाई को हल्द्वानी के डॉक्टरों ने बच्चों को वेंटिलेटर पर रख दिया। जिसके बाद चार दिन बाद यानी 16 जुलाई को बच्चों की मौत हो गई।

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