उत्तराखंड

Tehri News: “हर घर में जल” व “नल में जल” योजना में हो रही गड़बड़ी का खुलासा

Tehri News: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, केंद्र सरकार के द्वारा जारी जल जीवन मिशन के अंतर्गत टिहरी जिले के प्रताप नगर तहसील के 23 गावों में हो रही गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। वहां हर घर में जल व नल में जल की योजना में भारी गड़बड़ियां और गबन हुए है। दायर हुई जनहित याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई की है। जिसको लेकर फैसला दिया गया है कि गड़बड़ी करने वाले पेयजल लाइनों के ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया जाए।

क्या है पूरा मामला? (Tehri News)

दरअसल, टिहरी जिले के प्रताप नगर तहसील के 23 गांव में हर घर में जल व नल में जल की योजना में भारी गड़बड़ी और गबन के मामले में जनहित याचिका दायर हुई थी। जिस पर मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय के खंडपीठ ने गड़बड़ी करने वाले पेयजल लाइनों के ठेकेदारों को भुगतान न करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा राज्य सरकार सहित उत्तराखंड पेयजल निगम से भी हलफनामा मांगा है।

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पूर्व प्रधान ने दायर की याचिका

प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रताप नगर तहसील के भेरूंडा गांव के पूर्व प्रधान दिनेश चंद्र जोशी ने जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई है। याचिका में साफ़ तौर पर कहा गया कि प्रताप नगर तहसील में हर घर जल – हर घर नल योजना के तहत गांव में पेयजल लाइन बिछाने का काम किया गया है। यह कार्य ठेकेदारों द्वारा सही से नहीं किया गया है। जिन नालों को ढाई फीट जमीन के अंदर गाड़ना था। उन्हें ठेकेदार जमीन के ऊपर पेड़ों और जमीन पर ही गाड़ कर चले गए।

टेंडर के समय हुआ था फैसला (Tehri Latest News)

याचिका में जानकारी दी गई है कि टेंडर के समय शर्तें थी कि जो भी पाइपलाइन बिछेगी वह जमीन के अंदर ढाई फीट के अंदर होगी। लेकिन, पेयजल निगम और ठेकेदार तथा कार्यदायी संस्था ने इसका पालन नहीं किया। इसके अलावा संबंधित ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कोई ठोस कदम भी नहीं उठाया। जिसके कारण आपदा के समय गांव में नियमित पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसलिए पूरे प्रकरण की सही से जांच की जाए। साथ ही गड़बड़ी में शामिल कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

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खुले में डाल दी पेयजल लाइन

कुछ गांव में तो पेयजल लाइन खुले में डाली हुई हैं। कहीं पाइपलाइन कम गहरी है। अधिशासी अभियंता ने भी गड़बड़ी की बात पर सहमति जताई है। सरकार की ओर से गड़बड़ी की बात स्वीकार की गई और कहा गया कि जिन गांवों में मानक के अनुरूप काम नहीं हुआ है वहां का भुगतान रोक दिया गया है। अब मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।

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