उत्तराखंड

Uttarakhand BJP: अपनी ही सरकार से परेशान हुए भाजपा नेता और विधायक

Uttarakhand BJP: उत्तराखंड में एक के बाद एक भाजपा के बड़े नेता अपनी पार्टी की लाइन से हटकर बयानबाजी कर रहे हैं। इससे भाजपा संगठन और सरकार दोनों किरकिरी हो रही है। यही कारण है कि बीते दिनों खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को अपने पार्टी के ही विधायकों और नेताओं को हड़काना पड़ा था। उन्होंने कहा था किसी भी मामले को सर्वजनि रूप से ना उठा लें। संगठन से जुड़ी हुई समस्याओं को उनके और सरकार से जुड़े मसलों को सीएम धामी के सामने जाकर रखें।

BJP विधायक और नेता ने दिया धरना (Uttarakhand BJP)

बीजेपी के विधायक और नेता आजकल अपनी सरकार की टांग खींच रहे हैं और सवाल कर रहे हैं। विधायकों पर जनता का दबाव है या फिर मामला कुछ और है। सभी लोगों के मन में सवाल है कि प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की सख्ती के बावजूद भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत ने हल्द्वानी कोतवाली के बाहर धरना दिया था।

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल विधायक बंशीधर भगत ने पुलिस पर भाजपा (Uttarakhand Latest News) कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके अलावा क्षेत्र में फैल रहे नशे का मुद्दा भी उठाया था। इसलिए फिर से सवाल आ रहा है कि क्या भारतीय जनता पार्टी विधायक अपनी सरकार से खुश नहीं है। इतना ही नहीं वह इतने मजबूर हो गए हैं कि उन्हें धरना देकर अपनी बात मनवानी पड़ रही है।

मुन्ना सिंह चौहान ने उठाया मुद्दा (Uttarakhand BJP News)

विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने भी कुछ समय पहले अवैध खनन का मुद्दा उठाया था। साथ ही पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। कुछ दिनों पूर्व गदरपुर से विधायक अरविंद पांडे में भी अपने क्षेत्र में अवैध खनन का मुद्दा उठाया था। इसी मामले में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने विधायक अरविंद पांडे से संपर्क किया था।

राज्य मंत्री को घेरा

इसके अलावा पार्टी के ही वरिष्ठ नेता और विधायक बिशन सिंह चौहान ने बीते दिनों अपनी सरकार के दर्जाधारी राज्य मंत्री को घेर लिया था। इन सभी मामलों में एक बात समान है कि पहले तो सभी ने सड़कों (uttarakhand news) पर उतरकर सिस्टम की पोल खोली और जब मामला बिगड़ा तो पीछे हटने में भी देरी नहीं की। पार्टी के विधायकों पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने भी बयान दिया है। उनका कहना है कि साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं।

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ऐसे में विधायक को दोबारा चुनाव में जाना है जिसके लिए ज्यादा समय नहीं है। कई बार ऐसा होता है कि लोगों के दबाव की वजह से विधायक और नेताओं को इस तरह से सक्रिय होना पड़ता है। उन्होंने जो वादें जनता से किए हैं वह पूरे करने होते हैं इस वजह से ऐसी स्थितियां पैदा हो जाती है।

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