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Uttarakhand Crime: पिथौरागढ़ में चलती कार में महिला के साथ हुआ गैंगरेप 

Uttarakhand Crime: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में एक आदिवासी महिला के साथ चलती कार में गैंगरेप होने की वारदात सामने आई है। ऐसा कहा जा रहा है कि गैंगरेप के बाद आरोपियो ने पीड़िता को बेहोशी की हालत में सड़क किनारे पर छोड़ दिया था। इस घटना के दो दिन बाद महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले के सामने आने के बाद इस घटना पर जांच शुरू कर दी है। 

महिला को किया था कार से अगवा

प्राप्त जानकारी के अनुसार 32 वर्षीय महिला को 23 नवंबर की शाम कुछ लोगों ने कर से अगवा कर लिया था। इसके बाद महिला के साथ चलती कर में सामूहिक बलात्कार(Uttarakhand Crime) किया गया था। अगले दिन आरोपियों ने पीड़िता को बेहोशी की हालत में सड़क किनारे छोड़ दिया था। इसके बाद पीड़िता के गांव वाले उसे घर ले आए, जहां इलाज के दौरान दो दिन तक वह बेहोश रही और उसकी मौत हो गई। ऐसा भी बताया गया कि पीड़िता की मौत के बाद गांव वालों ने नदी के किनारे उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन इस घटना के बारे में पुलिस को किसी भी प्रकार की कोई भी सूचना नहीं दी गई। सर्किल ऑफिसर परवेज अली का कहना है कि पीड़िता के परिजनों की तरफ से इस मामले की कोई जानकारी नहीं दी गई है।  

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स्थानीय समाचार पत्रों से पुलिस को मिली खबर

इस घटना के बारे में पुलिस को स्थानीय समाचार पत्रों के माध्यम से खबर मिली है। शुरुआती जांच में पता चला कि महिला की मौत उसके घर पर ही 25 नवंबर को हुई थी। गांव वालों ने उसी दिन उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। हैरान करने वाली बात यह है कि बलात्कार के आरोप मौत के 15 दिन बाद लगाए गए हैं। इसके अलावा इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत भी दर्ज नहीं की गई है। 

पुलिस अधिकारी द्वारा बताया गया कि गांव में भेजी गई पुलिस(Uttarakhand Crime) टीम को भी अभी तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है जिसने अपराध होते हुए देखा या पीड़िता सड़क किनारे बेहोश पड़ी हो ऐसा देखा हो। उन्होंने कहा महिला का शव मेडिकल जांच के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके बावजूद इसे बलात्कार के रूप में पेश किया जा रहा है। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है। 

वनराजी जनजाति की महिला के साथ हुई घटना

वनराजी समुदाय के लिए 30 वर्षों से अर्पण नाम का एनजीओ काम कर रहा है। इस एनजीओ की निदेशक रेणु ठाकुर ने कहा कि इस जनजाति के लोग काफी शर्मीले होते हैं। इस वजह से वह शायद पुलिस के पास नहीं गए होंगे। वनराजी शर्मीली जनजाति है। यह लोग गैर-वनराजियों से बातचीत नहीं करते हैं। यदि यह लोग कोई अपराध होते हुए देखते हैं तो पुलिस के पास जाने से डरते हैं।

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