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Uttarakhand Highcourt: इस बड़े मामले रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई सरकार

Uttarakhand Highcourt: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान 14 अगस्त को हुई अजीबोगरीब घटना और पांच जिला पंचायत सदस्यों के कथित अपहरण को लेकर स्वतः संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की है। पूर्व के आदेश पर आज भी सरकार की ओर से मामले की कोई प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं की गई है।

रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई सरकार (Uttarakhand Highcourt)

इस बार भी पूर्व की तरह ही सरकार की ओर से मामले में कोई भी प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। सरकार ने खंडपीठ से एक दिन का समय मांगा है। जिस पर कोर्ट ने सरकार को 1 दिन का समय दिया है और अगली सुनवाई के लिए आने वाले शुक्रवार की तिथि तय की है। सरकार की तरफ से आज कहा गया कि उनके पास जो जांच रिपोर्ट आई है वह आधी है। पूरी रिपोर्ट पेश करने के लिए उन्हें एक दिन का समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने हामी भरी और सरकार को एक दिन का अतिरिक्त समय दिया गया।

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आज सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय के खंडपीठ (nainital latest news) में हो रही है। आज सुनवाई के समय विपक्षियों ने कहा कि पूर्व में कोर्ट ने प्रति रिपोर्ट तलब की थी जो अभी तक पेश नहीं हुई है। साथ ही अपहरण करने वालों के ऊपर भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है। मामले की जांच की स्थिति जस की तस है। अभी तक जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है। कोर्ट में मामला आने के बाद एसएसपी द्वारा केवल थाने के पुलिसकर्मी को ही निलंबित किया गया है।

14 अगस्त का मामला (Uttarakhand Highcourt News)

उत्तराखंड पंचायत चुनाव के दौरान 14 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। इस दौरान पांच जिला पंचायत सदस्य अचानक से लापता हो गए थे। कांग्रेस ने उन सब को अपनी पार्टी का सदस्य बताया और भारतीय जनता पार्टी पर उनकी किडनैपिंग का आरोप लगाया था। संबंधित वीडियो कांग्रेस द्वारा दिखाया गया था। साथ ही कांग्रेस ने इस मामले में पुलिस को तहरीर भी दी थी।

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सदस्यों ने किया किडनैपिंग से माना

इतना सब होने के बाद लापता हुए जिला पंचायत सदस्यों का एक वीडियो सामने आया था। जिसमें उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि किसी ने भी उनका किडनैप नहीं किया था। वह अपनी मर्जी से ही घूमने (panchayat member kidnapping case) चले गए थे। इस पूरे मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान दिया था और जनहित याचिका दायर करते हुए सुनवाई की थी। कोर्ट ने सरकार को साफ तौर पर कहा था कि मामले की स्वतंत्र जांच हो और रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए। यह घटना और चुनाव हुए दो महीने हो गए हैं लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है।

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