Uttarakhand News: देवभूमि में आसमान छू रहा कूड़े का पहाड़! हकीकत दिखी
Uttarakhand News: उत्तराखंड में खूबसूरत पहाड़ होना तो लाजमी है। लेकिन, राजधानी दिल्ली से प्रेरित होते हुए राज्य सरकार कूड़े के पहाड़ भी बना चुकी है। दरअसल, देवभूमि में ऊंचे होते जा रहे कूड़े के पहाड़ों ने एनजीटी और स्वच्छ भारत मिशन की हालिया हकीकत दिखा दी है। प्रदेश में 50 से ज्यादा डंप साइटों पर 16 लाख मैट्रिक टन से भी ज्यादा अनिस्तारित अपशिष्ट यानी (Unstabilized Waste) का ढेर लगाया गया है। अनिस्तारित अपशिष्ट वह कचरा या गंदगी होता है। जिसे वैज्ञानिक या तकनीकी तरीक़े से निस्तारित नहीं किया गया हो।
आसमान छू रहा कूड़े का पहाड़ (Uttarakhand News)
उत्तराखंड में कूड़े के पहाड़ का केवल 27 प्रतिशत हिस्सा निस्तारित किया हुआ है। राजधानी देहरादून और धर्म नगरी हरिद्वार में पूरे राज्य के कुल निस्तारित कतरे से चार गुना ऊंचा कूड़े का पहाड़ है। कुमाऊं में अल्मोड़ा की स्थिति बेहद खराब है।
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पुराना कचरा नहीं हुआ निस्तारित
देहरादून और हरिद्वार शहर में राज्य की जनसंख्या का करीब 11 फीसदी हिस्सा रहता है। लेकिन, हैरानी वाली बात है कि राज्य के कुल निस्तारित कचरे का 81% हिस्सा इन्हीं दो शहरों से निकलकर कूड़े का पहाड़ बना हुआ है। अल्मोड़ा जिले में अब तक पुराने कचरे को निस्तारण करने का कार्य शुरू नहीं किया गया है।
इन जिलों के हालात बेहतर (Uttarakhand Latest News)
राज्य के कुछ जिले बेहतर है। शहरी विकास विभाग के आंकड़ों के अनुसार चमोली में 90%, रुद्रप्रयाग में 100%, उधमसिंह नगर में 93% और नैनीताल में 61% अनिस्तारित अपशिष्ट का निस्तारण किया जा चुका है।
क्या होता है अनिस्तारित अपशिष्ट?
अनिस्तारित अपशिष्ट को अंग्रेजी में Untreated Waste कहते हैं। अनिस्तारित अपशिष्ट वह कचरा या गंदगी है जिसे वैज्ञानिक या तकनीकी तरीक़े से निस्तारित (Dispose/Treat) नहीं किया गया हो।
इसमें क्या-क्या आता है?
- घरेलू गीला कचरा (रसोई का बचा खाना, सड़ी-गली चीज़ें)
- सूखा कचरा (प्लास्टिक, बोतलें, पॉलीथिन जो रीसायकल नहीं हुईं)
- औद्योगिक अपशिष्ट (कारखानों से निकला जहरीला पानी या केमिकल्स)
- चिकित्सा अपशिष्ट (अस्पताल से निकला इस्तेमाल किया हुआ सामान अगर सीधे फेंक दिया जाए)
- सीवेज वेस्ट (नालों और सीवर का पानी जो बिना ट्रीटमेंट सीधे नदियों या ज़मीन में छोड़ दिया जाए)
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नुकसान क्या हैं? (Uttarakhand News Viral)
- पर्यावरण प्रदूषण – ज़मीन, हवा और पानी सबको दूषित करता है।
- बीमारियाँ – डेंगू, हैजा, टाइफाइड, स्किन डिज़ीज जैसी बीमारियाँ फैलाता है।
- जल प्रदूषण – untreated वेस्ट नदियों में जाने से पीने का पानी तक खराब हो जाता है।
- मिट्टी की उर्वरता घटती है – जहरीले पदार्थ जमीन को बंजर बना देते हैं।
- जानवर और पक्षी भी प्रभावित – प्लास्टिक और केमिकल खाने से उनकी जान तक चली जाती है।