उत्तराखंडहरिद्वार

Uttarakhand Politics: प्रेमचंद को मंत्रिमंडल से पदमुक्त करें- अंकित बिजलवान

Uttarakhand Politics: उत्तराखंड (uttarakhand bhu kanoon) के मूल निवासियों को अमर्यादित भाषा का प्रयोग व पहाड़ी मैदानी का क्षेत्रवाद करना अशोभनीय है। जिसका पुरे प्रदेश में विरोध कर पुतला दहन किये जा रहें है। इस पर अंकित विजलवान व कपिल शर्मा जौनसारी के नेतृत्व में कल जलाये गए पुतले की अस्थिया आज गंगाजी में प्रवाहित की गई। इस अवसर पर युवा सामाजिक कार्यकर्त्ता अंकित बिजलवान ने कहा कि एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री कहते हैं की पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी यही के लोगों के काम आएगी और यह उत्तराखण्ड का दशक है। लेकिन उन्हीं के मंत्री (premchand agarwal) जो कि सदन में पहाड़ के लोगों पर ही बड़ा सवाल कर रहे हैं। पहाड़ में कौन है? सब राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोग पहाड़ में है।

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स्वयं से सवाल पूछे सभी पहाड़ी (Uttarakhand Politics)

आज यह सवाल हर एक पहाड़ी को स्वयं से पूछना चाहिए क्या सही मायने में जो उत्तराखंड (Uttarakhand News) नव राज्य का निर्माण पहाड़ के लोगों ने, हमारे पूर्वजों ने अपनी शहादतें देकर इस राज्य का निर्माण करवाया।

प्रेमचंद मांगे सार्वजनिक माफी- पं कपिल शर्मा

पं कपिल शर्मा जौनसारी का कहना है की यदि प्रेमचंद अग्रवाल अगर उत्तराखंड के लोगों से सार्वजनिक माफ़ी नहीं मांगते है, तो इसका खामियाजा इन्हे विधानसभा चुनाव में भरना पड़ेगा। जौनसारी ने माननीय पुष्कर सिंह धामी व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से मांग की है कि ऐसे लोगों की विधानसभा सदस्यता रद कर देनी चाहिए व पार्टी से भी हटा देना चाहिए। जिससे की पार्टी की छवि खराब ना हो।

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दिनेश थपलियाल ने कहा की यह राज्य हमारे पूर्वजों के संघर्षों से बना है जिसमें हमारे पहाड़ के बुजुर्ग,माताएं-बहनें और नौजवान जब मुलायम सिंह यादव की तानाशाही सरकार के सामने। पहाड़ की तरह सीना ताने खड़े हो गए थे। जिससे लखनऊ तक हलचल मची थी।

अशोक पाण्डेय व रुपेश बुडलाकोटी ने कहा की आज यह प्रश्न हम सभी को स्वयं से पूछना चाहिए कि क्या असल में हमारे पूर्वजों का संघर्ष इन चाटुकार नेताओं के फ़ायदे के लिए था जो कि अपनी चाटुकारता के लिए एक पहाड़ विरोधी बोलने वाले के खिलाफ खड़े न हो सके।

केदारनाथ के तीर्थ पुरोहित अशोक जोशी व गौरभ भट्ट ने कहा की सवाल पहाड़ियों का भी होना चाहिए जब सुविधा न मिल पाए तो पहाड़ी लोग अपने पहाड़ के लिए लड़ता है। जब पहाड़ कांपता है तो यही पहाड़ी अपने पहाड़ केसाथ साथ देश के लिए लड़ता है।

उत्तराखंड के लोगों ने कभी भेदभाव नहीं किया इस मोके पर अंकित बिजलवान ,अशोक पाण्डेय, प्रिंस बुलाकोटी, गौरभ थपलियाल, आशीष भट्ट, दीपक जोशी चेतन पं कपिल शर्मा जौनसारी

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