Uttarakhand Sanskrit University में बनाए गए 108 पार्थिव शिवलिंग
Uttarakhand Sanskrit University: उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में शिक्षाशास्त्र विभाग एवं विश्वविद्यालय पंचगव्य समिति के द्वारा महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर रुद्राभिषेक के प्राकृतिक एवं पर्यावरण संरक्षण के महत्व को ध्यान में रखते हुए 108 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर सामुहिक रुद्राभिषेक महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें शिक्षा शास्त्र विभाग के प्र.विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद नारायण मिश्र ने छात्राध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाशिवरात्रि का पर्व वैदिक काल से प्रकृति को समर्पित है।
सर्वप्रथम हुआ था रामेश्वरम में पार्थिव लिंग का पूजन
शिवसंकल्पमस्तु सूत्र (Uttarakhand Sanskrit University) के माध्यम से सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए बताया कि श्री राम जी द्वारा सर्वप्रथम रामेश्वरम में पार्थिव लिंग का पूजन किया गया था। विश्वविद्यालय के एंटी ड्रग सेल के नोडल अधिकारी डॉ प्रकाश पंत ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रुद्राभिषेक में उच्चरित किये जाने वेक शुक्ल यजुर्वेद के मंत्र पंच तत्व के साथ वन एवं नदियों के संरक्षण का संदेश देते हैं उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण संरक्षण तथा जन जागरूकता के लिए हमारे ऋषि मुनियों के द्वारा प्रसारित परम्परा एं अनुकरणीय तथा उपयोगी हैं एवं विभागीय सांस्कृतिक समिति एवं विश्वविद्यालय पंच गव्य समिति संयोजक श्रीमती मीनाक्षी सिंह रावत ने अपने उद्बोधन में बताया कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा से मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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प्राकृतिक तरीके से बनाए शिवलिंग
भावी अध्यापकों को जन कल्याण एवं जागरूकता हेतु प्राकृतिक स्वरूप में पर्वों के आयोजन को बढ़ावा देने हेतु समाज को सदैव प्रेरित किया जाये। महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक कार्यक्रम के दौरान छात्राध्यापकों द्वारा शिवजी की पार्थिव प्रतिमा प्राकृतिक तरीके से निर्मिति कर प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, और मोक्ष की प्राप्ति हेतु जनसामान्य को पार्थिव शिवलिंग को पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी से बनाना चाहिए।
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इस अवसर पर विभाग द्वारा पूजन किया गया कार्यक्रम का संयोजन तथा संचालन विनीत जोशी एवं सुभाष द्वारा किया गया पूजन पवन जोशी जगमोहन पलड़िया,पवन नैथानी,विनय द्वारा की गई कार्यक्रम में रूचि कोठरी, प्रियंका, सोनी सृष्टि, रचना,मानसी, नीलम, विवेक जोशी, दीपांशु, ज्ञानेश, पलडिया,दुर्गेश, नवप्रभात,गगनदीप, कमल, गौरव, परविन्द्र, इत्यादि छात्राध्यापक उपस्थित रहे।