Uttarakhand Temples: देवलसारी मंदिर! जब ग्रामीण को मिले थे भगवान शिव!
Uttarakhand Temples: उत्तराखंड में महादेव के बहुत से प्रसिद्ध मंदिर हैं। जिनके बारे में अधिकतर पर्यटक जानते हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी है जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। ऐसा ही एक शिव मंदिर देहरादून शहर से लगभग 124 किलोमीटर दूर है। जिन्हें हम देवलसारी महादेव मंदिर या कुंणेश्वर मंदिर के नाम से जानते हैं। यह मंदिर देवलसारी में पढ़ने वाला एक रहस्यमई मंदिर है। मंदिर साल में केवल दो बार ही खुलता है बाकी समय बंद रहता है।
देवलसारी मंदिर का इतिहास
देवलसारी मंदिर मसूरी के देवलसारी रेंज में स्थित है। इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। यहां के लोगों द्वारा बताया जाता है कि यह मंदिर लगभग 200 से 300 साल पुराना है जिसके पीछे बहुत ही सुंदर कहानी है। यह मंदिर और जहां यह मंदिर (Uttarakhand Temples) बना हुआ है उसके संबंध में एक कहानी बताई जाती है। कहानी भगवान शिव और इस मंदिर के पास में रहने वाले गांव वालों से संबंधित है।
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पहले हुआ करती थी धान की खेती (Uttarakhand Temples)
बताया जाता है कि जिस जगह पर यह मंदिर (devalsari temple) बना हुआ है। वहां कभी धान की खेती हुआ करती थी। यह जगह धान की खेती करने के लिए बहुत अच्छी मानी जाती थी। एक बार भगवान शिव साधु का वेश धारण करके इस जगह से गुजर रहे होते हैं कि वह इस जगह की खूबसूरती और शांत वातावरण को देखकर इस जगह पर मोहित हो जाते हैं।
भगवान शिव ग्रामीणों से खेत के बीच में रहने के लिए थोड़ी सी जगह की मांग करते हैं लेकिन धान की खेती के लिए अनुकूल होने के कारण ग्रामीण अपनी जगह शिवजी को देने से साफ इनकार कर देते हैं। भगवान शिव ग्रामीणों की बात सुनकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। अगले दिन जब ग्रामीण अपने खेत की ओर जाते हैं तो उन्हें धान की खेती की जगह देवदार के पेड़ दिखाई देते हैं। सभी ग्रामीण इस घटना के रहस्य के बारे में सोचने लगते हैं।
ग्रामीण के सपने में आए थे भगवान शिव
एक रात भगवान शिव एक ग्रामीण के सपने में आए और इस घटना की जानकारी दी। उन्होंने उस जगह एक लकड़ी के मंदिर के निर्माण का आदेश दिया। शिव जी ने ग्रामीणों को एक जगह के बारे में बताया जहां एक विशालकाय पेड़ होता है और उसी पेड़ के द्वारा मंदिर के निर्माण का आदेश दिया गया। अगले दिन सभी ग्रामीण इस जगह पहुंचे जिस जगह पर पेड़ था और उनके द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया।
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मंदिर के पास मौजूद खंडित शिवलिंग (Uttarakhand Shiv Temples)
ग्रामीणों द्वारा बताया जाता है कि इस जगह के पास गांव (devalsari history in hindi) के ग्रामीण की एक गाय हर रोज चरने आती पर रोज सुबह शाम अपना दूध एक जगह पर छोड़ देती थी। ग्रामीण इस बात से परेशान हो जाता था और वह एक दिन गाय के पीछे आया। वहां शिवलिंग होता है और गाय अपना सारा दूध वहीं छोड़ देती है। जब ग्रामीण ने अपनी गाय को देखा तो वह गुस्से से शिवलिंग पर कुल्हाड़ी से एक बार वार करता है और शिवलिंग के दो टुकड़े हो जाते हैं। इसके बाद वह कुल्हाड़ी भी टूट कर उसके सर पर लग जाती है और उसकी मृत्यु हो जाती है। उस जगह पर आज भी शिवलिंग मौजूद है पर वक्त के साथ-साथ जगह विलुप्त होती जा रही है।
एकमात्र शिव मंदिर जिसकी होती है पूरी परिक्रमा
यह देश का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर (uttarakhand famous shiv mandir) है जहां भगवान शिव के शिवलिंग की पूरी परिक्रमा की जाती है। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जिस जगह पर शिवलिंग है उसके चारों ओर जलेरी नहीं बनी हुई है। जिस वजह से इस मंदिर की पूरी परिक्रमा की जाती है। इसके अलावा इस मंदिर के शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध या जल अपने आप रहस्यमई तरीके से गायब हो जाता है।
साल भर क्यों बंद रहता है मंदिर? (Devalsari Mandir Story)
देवलसारी मंदिर (devalsari mandir mela) साल भर बंद रहता है। ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान शिव साधु का वेश धारण करके ध्यान करने आए थे। जिस वजह से इस मंदिर को साल भर बंद ही रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में भगवान शिव ध्यान कर रहे हैं इसलिए इस मंदिर को खोला नहीं जाता है। यह मंदिर अप्रैल में 16 तारीख को खोला जाता है और मंदिर में आने वाले श्रद्धालु के जल से सिर्फ पंडित जी द्वारा ही शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। उसके बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और सितंबर में डोली यात्रा के दौरान मंदिर को फिर खोला जाता है।