धार्मिक

31 May Panchang: पढ़िए 31 मई के पंचांग के पांचों अंग, बन रहा खास योग

31 May Panchang: 31 मई 2025 को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। चंद्रमा कर्क राशि में संचार करेगा और सूर्य वृषभ राशि में रहेगा। आज रवि योग भी बन रहा है जिसे शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन, राहुकाल भी पड़ रहा है और इस दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए। आज कोई विशेष त्यौहार नहीं है लेकिन शनिवार होने की वजह से न्याय के देवता शनि देव की पूजा करना लाभकारी साबित होगा। 

आइए जानते हैं, 31 मई के पंचांग के पांचों अंग यानी तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण की क्या स्थितियां हैं? आज का कौन-सा समय आपके लिए शुभ सिद्ध होने के योग दर्शा रहा है और आज के राहु काल का समय क्या है?

तिथिपंचमी 20:15 तक
नक्षत्रपुष्य 21:07 तक
प्रथम करणबव 08:42 तक
द्वितीय करण बालव 20:15 तक
पक्षशुक्ल  
वारशनिवार  
योगवृद्धि 10:43  तक
सूर्योदय05:25 
सूर्यास्त19:12 
चंद्रमा कर्क  
राहुकाल08:52-10:35 
विक्रमी संवत्2082 
शक संवत1947विश्वावसु
मासज्येष्ठ 
शुभ मुहूर्तअभिजीत11:55-12:43

नक्षत्र (31 May ka panchang)

नक्षत्र: आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र (aaj ki tithi) कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं। नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्रों के नाम- अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र

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आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र (aaj ka panchang), हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र, मूल नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, घनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र।

वार (panchang today)

वार: वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात वार होते हैं। ये सात वार ग्रहों के नाम से रखे गए हैं – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 

योग

योग: नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण (aaj ki tithi)

करण: एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध (19 may ka panchang) में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं – बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

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