उत्तराखंड

उत्तराखंड निकाय चुनाव में प्रदूषण बना पार्टीयों के लिए नया मुद्दा

उत्तराखंड निकाय चुनाव (Uttarakhand Nikay Chunav) में राज्य की राजधानी में देहरादून (Dehradun News) में बढ़ता वायु प्रदूषण चुनाव का मुद्दा बन गया है। देहरादून में वायु प्रदूषण का स्तर कभी-कभी शीर्ष पर पहुंच जाता है। शहर में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से होता है। केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत देहरादून में भी हवा को दूषित होने से बचने के प्रयास किया जा रहे हैं। लेकिन, वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रयास नाकामयाब नजर आ रहे हैं। शहर में बढ़ रही फैक्ट्री भी पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में बाधा बन रही है। 

बढ़ रहा है प्रदूषण (Dehradun News)

गर्मी और सर्दी के मौसम में जब तापमान ज्यादा बढ़ता या गिरता है तो प्रदूषण का स्तर भी शीर्ष पर पहुंच जाता है। शहर में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाहनों के धुएं और खुले में उड़ रही धूल मिट्टी से ही होता है। 

बीजेपी और कांग्रेस ने किया बड़ा वादा (उत्तराखंड निकाय चुनाव )

उत्तराखंड का चुनाव में भाजपा (bjp) और कांग्रेस (congress) दोनों ही पार्टियों ने महापौर प्रत्याशियों के द्वारा जनता के बीच अपनी बात पहुंचाई है। दोनों ही पार्टियों ने प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्य करने का वादा किया है। भाजपा प्रत्याशी सौरभ हथियार के घोषणा पत्र में हर वोट को ग्रीन बोर्ड बनाने की बात कही गई है। इसके अलावा कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र पोखरियाल पहले दिन से ही दूध में हर वर्ष ढाई लाख पौधे रोकने की बात कह रहे हैं।   

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घट रही हरियाली

शहर में हरियाली घटती जा रही है। इस वजह से प्रदूषण का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न जगहों से निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ अब ज्यादा समय तक हवा में मौजूद रहते हैं। 

स्वास्थ्य के लिए घातक इतना प्रदूषण

पीएम-10 और पीएम- 2.5 अलग-अलग उत्सर्जन स्रोतों से निकलते हैं। इनकी रासायनिक संरचना भी भिन्न होती है। गैसोलीन, डीजल ईंधन, तेल या लकड़ी के दहन से निकलने वाले उत्सर्जन से बनने वाले कण पदार्थ पीएम- 2.5 की कैटेगरी में आते हैं। इसके अलावा जंगल की आग, कूड़ा जलाने, लैंडफिल और कृषि में मौजूद सामान की आग, निर्माण स्थलों और सड़कों से हवा में उड़ने वाली धूल पीएम-10 की कैटेगरी में आते हैं। 

पीएम-10 प्रदूषण कण फेफड़े के लिए हानिकारक

पीएम-10 प्रदूषण कण पदार्थ फेफड़ों में सांस के जरिए जा सकते हैं। इस वजह से यह स्वास्थ्य को बिगाड़ देते हैं। इसके अलावा पीएम- 2.5 अधिक बारीक होता है। जिसके कारण यह अधिक मात्रा में फेवरेट हो तक पहुंचता है और घातक साबित होता है। सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कुछ कार्बनिक यौगिक, द्वितीय अकार्बनिक आइरोसोल और कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है।

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