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Rishikesh History: भगवान विष्णु के नाम पर पड़ा शहर का नाम 

Rishikesh History: ऋषिकेश उत्तराखंड की तीर्थ और योग नगरी है। ऋषिकेश सतयुग से ही ऋषि मुनियों की तपोस्थली रहा है। ऋषिकेश में प्राचीन श्री भरत मंदिर स्थित है जहां रैभ्य ऋषि और सोम ऋषि ने भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए तपस्या की थी। भगवान नारायण ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिए थे। आगे पढ़ते हैं ऋषिकेश के बारे में ऐसी जानकारी जो बहुत ही कम लोगों को पता है। 

विष्णु भगवान के नाम पर शहर का नाम (Rishikesh History)

विष्णु भगवान का एक नाम ऋषिकेश भी है। इस वजह से स्थान को ऋषिकेश (Rishikesh History) के नाम से जाना जाता है। आठवीं सदी में शंकराचार्य ने शालिग्राम से बने भगवान नारायण की मूर्ति को मंदिर में पुनर्स्थापित किया था। श्री भरत मंदिर के गर्भ ग्रह में भगवान नारायण की प्रतिमा को ठीक ऊपर गुंबद में आपको यह श्री यंत्र दिख जाएगा। 

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श्री भरत मंदिर के परिक्रमा मार्ग में एक शिवलिंग भी स्थापित किया गया है। इसे पातालेश्वर महादेव नाम से जाना जाता है। ऋषिकेश के पांच महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में इस मंदिरों को भी गिना जाता है। 

दशरथ पुत्र भारत पहुंचे थे ऋषिकेश

भरत मंदिर के पीछे वाले भाग में मां भगवती का मंदिर है। यह मंदिर माहेश्वरी के नाम से विख्यात है। कहा जाता है कि दशरथ पुत्र भरत जब यहां नारायण की पूजा के लिए आए थे तो उन्होंने राम द्वारा रावण पर विजय से पहले भगवती माहेश्वरी के मंदिर की स्थापना की थी। 

स्कंद पुराण के केदार खंड के अनुसार इस मंदिर को सतयुग में वराह, त्रेता में परशुराम, द्वापर में वामन और कलयुग में भरत नाम से जाना गया।

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