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Ankita Bhandari की जान क्यों गई? पढ़िए दर्द भरी दास्तां

Ankita Bhandari: उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में कोटद्वार की अदालत में पोन तीन साल बाद तीनों आरोपियों को दोषी करार बताते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। सजा पाने वालों में भाजपा नेता और उत्तराखंड के पूर्व मंत्री का बेटा पुलकित आर्य के अलावा उसका रिसोर्ट में काम करने वाले दो स्टाफ शामिल है। अंकिता भंडारी का शव नहर में तैरता हुआ मिला था। अंकिता जिस रिसोर्ट में काम करती थी वहां जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था और वह यह सच्चाई जान गई थी।

जिंदगी भर जेल में सड़ेंगे तीनों आरोपी (Ankita Bhandari Case)

पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता (ankit gupta) तीन कातिल है जो अब जब तक जिंदा रहेंगे जेल की सलाखों के पीछे ही रहेंगे। इन तीनों को कोटद्वार की कोर्ट ने 19 साल की अंकिता भंडारी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा सुनाई है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह वह वाली उम्र कैद है, जिसमें पूरी उम्र कैद हो जाती है।

आखिर किस वजह से गई Ankita की जान?

अंकिता भंडारी ऋषिकेश के करीब चीला बैराज के पास पुलकित आर्य के रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी। 18 सितंबर की काली रात थी जब अंकिता को जिंदा बैराज में फेंका गया था। बैराज के पानी में अंकिता की लाश पूरे 6 दिनों तक तैरती और फस्ती रही। आखिरकार छठे दिन बैराज से करीब 8 किलोमीटर दूर चीला पावर हाउस के पास अंकित की लाश बरामद हुई। हैरानी वाली बात है कि 6 दिनों में अं अंकिता की लाश सिर्फ 8 किलोमीटर दूर तक ही पहुंची थी। ऐसा इसलिए क्योंकि बैराज के पानी को कम किया जाता है। अगर ऐसा ना होता तो अंकिता की लाश कभी नहीं मिल पाती।

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पौड़ी की रहने वाली थी Ankita Bhandari

अंकिता (ankita bhandari family) पौड़ी इलाके में श्रीकोट गांव की रहने वाली थी। 12वीं पास करने के बाद अंकिता ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी। उस दौरान पूरा देश कोरोना की चपेट में था। काम धंधा ना होने का असर अंकिता के परिवार पर भी पड़ा। कोरोना कम होने के दौरान उत्तराखंड में भी सैलानी वापस आने लगे थे। घर वालों की मदद करने के लिए अंकिता ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स पूरा करने के बाद हरिद्वार से करीब 8 किलोमीटर दूर बदन वनंतरा रिजॉर्ट में अपनी पहली नौकरी बतौर रिसेप्शनिस्ट के तौर पर ज्वाइन की थी। उसे रिजॉर्ट से अंकिता के घर और गांव की दूरी करीब डेढ़ सौ किलोमीटर है। रोजाना सफर करना मुश्किल था इसलिए वह इस रिसोर्ट में रहती थी।

नौकरी के 1 महीने बाद हुई घटना

अंकिता ने वनंतरा रिसॉर्ट 18 अगस्त को रिसेप्शनिस्ट के तौर पर ज्वाइन किया था। ठीक 1 महीने बाद 18 सितंबर की रात को अंकिता अचानक से गायब हो गई। पूरी रात बीत जाने के बाद अंकिता की गुमशुदगी की भनक किसी को नहीं मिली। अगले दिन 19 सितंबर रिसोर्ट का मालिक पुलकित आर्य पुलिस स्टेशन गया और अंकिता की गुमशुदा की रिपोर्ट खुद लिखवाई। बेशर्मी की हदें तक पर हुई जब उसने अंकिता के घर वालों को खुद फोन करके गुमशुदगी की जानकारी दी। अंकिता का मोबाइल बंद था और खबर सुनने के बाद अंकिता का परिवार ऋषिकेश की तरफ आया।

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पुलिस ने नहीं लिखी थी रिपोर्ट (Ankita Bhandari)

आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन अंकिता के माता-पिता तीन से चार घंटे तक पुलिस स्टेशन में इधर-उधर भटकते रहे। लेकिन उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई। वह पुलकित का नाम ले रहे थे। इस दौरान पुलकित के पूर्व मंत्री पिता विनोद आर्य भी उसी थाने में थे और उनकी खातिरदारी हो रही थी। उत्तराखंड पुलिस की बेरुखी को देखकर अंकिता का परिवार डीएम के पास पहुंचा। डीएम ने पुलिस को आदेश दिए और इसके बाद 22 सितंबर को पहली बार पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

अंकिता के दोस्त ने दी थी एक्सक्लूसिव जानकारी

कहानी में मोड़ तब आया जब अचानक जम्मू में रहने वाले अंकिता के दोस्त ने अंकिता के पिता को अंकिता से हुई आखिरी बार बातचीत का ऑडियो और कुछ मैसेज भेजें। ऑडियो कॉल और चैट से साफ था कि अंकिता की गुमशुदगी के पीछे कौन है और क्या है। यह बातें जंगल में आग की तरह सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य और उनके बेटे पर दवाब बढ़ने लगा था।

23 सितंबर को हुई पहली गिरफ्तारी (Ankita Bhandari story)

23 सितंबर को पूर्व मंत्री के बेटे पुलकित आर्य और रिसोर्ट का मैनेजर सौरव भास्कर और एक और स्टाफ अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया। हालांकि इस बात की कोई खबर नहीं थी कि अंकिता कहां है। इसका जवाब केवल पुल के कार्य और उसके नौकर ही दे सकते थे। पूर्व मंत्री के बेटे के होश उड़ गए और शाम होते-होते पुल कितने सारा सच कर दिया।

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18 सितंबर की शाम को आखिर हुआ क्या?

पुलकित, उसके मैनेजर और स्टाफ में जो कहानी सुनाई वह कुछ ऐसी थी। 18 सितंबर की शाम को पुलकित और अंकिता के बीच झगड़ा हुआ था। अंकिता का गुस्सा शांत करने के लिए पुलकित उसे अपने साथ ऋषिकेश ले गया था। चारों लोग एक स्कूटी और बाइक पर सवार थे। रिसोर्ट से 8 किलोमीटर दूर बैराज के पास चारों रुकें। वहां पुलकित और उसके स्टाफ ने शराब पी थी और कुछ देर रुकने के बाद चारों वापस लौटने लगे। तभी अंकिता फिर से गुस्सा हो गई और पुलकित के साथ उसका झगड़ा शुरू हुआ। उस दौरान यह बैराज के पास खड़े थे और नीचे बैराज का पानी बह रहा था।

झगड़े के दौरान पुलकित आर्य ने अंकिता को धक्का दिया और वह बैराज में जा गिरी। उसे बचाने की जगह तीनों स्कूटी और बाइक पर वापस रिजॉर्ट की तरफ आ गए। खुशकिस्मती से रास्ते में एक जगह सीसीटीवी कैमरा लगा है जिसमें तस्वीर कैप्चर हुई। कैमरे में साफ दिख रहा था कि चीला बैराज जाते वक्त स्कूटी और बाइक पर चार लोग थे और लौटते वक्त तीन। अंकिता गायब थी और पूरी रात गुजरने के बाद पुलकित ने खुद ही पुलिस स्टेशन जाकर अंकिता की गुमशुदगी लिखवाई। जिससे किसी को उस पर शक ना हो।

Ankita की ऑडियो और Chat ने किया खुलासा

पुलकित और उसके स्टाफ ने अंकिता को धक्का देकर मारने की बात मान ली थी। लेकिन दोनों के बीच झगड़ा क्यों हुआ था इस पर अभी ? बना हुआ था। पुलिस के हाथ तब तक अंकित के जम्मू वाले उस दोस्त का ऑडियो और चैट लगा था। जवाब अब थोड़ा-थोड़ा खुद ही सामने आ रहा था। ऑडियो और मैसेज वह वजह भी बता रहे थे जिस वजह से अंकिता की जान गई।

रिसोर्ट में चल रहा था जिस्मफिरोशी का धंधा (Pulkit Arya Resort)

अंकिता की मौत के पीछे रिसोर्ट में चल रहा जिस्मफिरोशी का धंधा था। उत्तराखंड के पुराने भाजपा नेता थे और वह भी कद्दावर नेता। एक वक्त था जब वह उत्तराखंड के दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री भी थे। पुलकित ने 2018 में अपने पिता की ऊंची पहुंच का फायदा उठाते हुए हरिद्वार से करीब 8 किलोमीटर दूर जंगल के अंदर जाकर रिसोर्ट बनाया था। इसके बाद 2020 में कोरोना आ गया और रिसॉर्ट के बिजनेस पर थोड़ा असर पड़ा। इस दौरान पुलकित (pulkit arya) में इसी रिसोर्ट में जिस्मफरोशी का धंधा चलाने का फैसला किया।

अंकिता की बुरी किस्मत रही कि वह महीना भर पहले बतौर रिसेप्शनिस्ट नौकरी करने आई। पुलकित ने अंकिता को अपना रिजॉर्ट चलाने के लिए इस धंधे में जाने के लिए मजबूर करना शुरू किया। वह अंकिता को टूरिस्ट के कमरों में जाने के लिए कहता था और अंकिता इसके लिए तैयार नहीं थी। अंकिता ने यह बातें अपने घर में ना बताकर अपने दोस्त को बताई और इस केस में सबसे बड़े अहम सबूत वही चैट और रिकॉर्डिंग साबित हुए। और कोटद्वार के कोर्ट द्वारा फैसले के बाद तीनों दोषियों को उम्र कैद की सजा हुई।

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