Uttarakhand Employment: बांस से रोजगार की नई राह तैयार, कैसे होगा राज्य को फायदा?
Uttarakhand: नई दिल्ली स्थित Deventure Sarovar Portico, Kapas Hera में 16-17 दिसंबर 2024 को “Just Transition to Net Zero – Role of Bamboo in the SAARC Region” आयोजित हुआ। यहां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड से जुड़ी प्रमुख हस्तियों ने राज्य के विकास के लिए अपने विचार साझा किए। इस सम्मेलन में उत्तराखंड के तीन प्रमुख व्यक्ति पीयूष जोशी, भोपाल सिंह चौधरी और जसपाल सिंह चौहान ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। सभी नेताओं ने बांस आधारित उद्योगों और टिकाऊ विकास के दृष्टिकोण को साझा करते हुए सम्मेलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
माधवी फाउंडेशन के अध्यक्ष और एक सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता पीयूष जोशी
माधवी फाउंडेशन के अध्यक्ष और एक सक्रिय आरटीआई कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने सम्मेलन में उत्तराखंड(Uttarakhand) में बांस आधारित उद्योगों की संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है, और बांस एक महत्वपूर्ण संसाधन है जिसे हम रोजगार सृजन और पलायन रोकने के लिए प्रभावी रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं। माधवी फाउंडेशन जल्द ही पूरे राज्य में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएगा, जिसके तहत महिलाओं और युवाओं को बांस उत्पाद निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।”
किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कही बड़ी बात
किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता और टीम अन्ना हजारे की कोर कमेटी के सदस्य भोपाल सिंह चौधरी ने कहा, “उत्तराखंड में बांस आधारित उद्योगों की स्थापना से किसानों को नया आर्थिक अवसर मिलेगा। यह उद्योग न केवल रोजगार सृजित करेंगे, बल्कि किसानों को आय के नए स्रोत भी प्रदान करेंगे। हम इस पहल को मजबूती से लागू करेंगे, ताकि बांस के उत्पादन और उसके उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।”
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उठाया उत्तराखंड की बेरोजारी का मुद्दा
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष जसपाल सिंह चौहान ने बेरोजगारी और पलायन की समस्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “उत्तराखंड के युवा रोजगार की कमी के कारण अन्य राज्यों में पलायन कर रहे हैं। बांस उद्योग के माध्यम से हम उन्हें घर में ही रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। बेरोजगार संघ इस पहल का समर्थन करेगा और राज्यभर के युवाओं को बांस आधारित उद्योगों से जोड़ने का कार्य करेगा।”
इस सम्मेलन के प्रमुख अतिथियों में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष श्री पाशा पटेल और फाउंडेशन फॉर एमएसएमई क्लस्टर्स के चेयरमै श्री अजय शंकर थे।
- शिवराज सिंह चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “बांस का उपयोग सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास के लिए भी किया जा सकता है। इस दिशा में भारत और विशेष रूप से उत्तराखंड में कई योजनाओं की आवश्यकता है। बांस उद्योग के विकास से न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूती मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरणीय लक्ष्यों की प्राप्ति में भी मदद करेगा।”
- पाशा पटेल ने भी बांस आधारित उद्योगों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “बांस को एक हरे-भरे भविष्य के रूप में देखा जा सकता है। यह न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद करता है, बल्कि इससे जुड़े उद्योग स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न करते हैं।”
- अजय शंकर ने कहा, “बांस उद्योग की बढ़ती हुई मांग के साथ, हमें इसे एक सतत विकास के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। इससे न केवल SAARC देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह विभिन्न देशों में स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगा।”
यह सम्मेलन न केवल बांस आधारित उद्योगों के महत्व को उजागर करता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि उत्तराखंड जैसे राज्य में इसे एक प्रमुख उद्योग के रूप में स्थापित करने की अपार संभावनाएं हैं। माधवी फाउंडेशन, उत्तराखंड बेरोजगार संघ और अन्य संगठनों के सामूहिक प्रयासों से राज्य में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।