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New Research: दिमाग पर प्लास्टिक की परत, नई महामारी की शुरुआत

Brain Research: एक नया चौंकाने वाला शोध हुआ है। जिसमें पता चला है कि मनुष्य के दिमाग पर धीरे-धीरे प्लास्टिक की परत चढ़ रही है। वर्तमान समय में आप भी शायद प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठकर है खबर पढ़ रहे होंगे। या फिर आप के आसपास प्लास्टिक की वस्तुएं होगी। वर्तमान समय में ऐसा कोई घर नहीं है जहां प्लास्टिक से बनी वास्तु हमें ना मिलें। हमारे आसपास मौजूद हवा और पानी ही नहीं हमारे शरीर के अंगों में भी प्लास्टिक जा चुका है। 

मानव मस्तिष्क में पाए गए नैनो प्लास्टिक

पिछले साल 2024 में एक शब्द परीक्षण (latest science research) के दौरान मनुष्य के मस्तिष्क का सैंपल लिया गया था। इस सैंपल में 8 साल पहले की तुलना में कई ज्यादा नैनो प्लास्टिक पाए गए हैं। यह मात्र करीब एक चम्मच के बराबर बताई गई थी। इस शोध के प्रमुख वैज्ञानिक ने बताया कि शव के मस्तिष्क के नमूने में उनके किडनी और लीवर की तुलना में 7 से 30 गुना ज्यादा नैनो प्लास्टिक थी।

2016 में भी हुआ था ऐसा परीक्षण

साल 2016 के सब प्रशिक्षण (Brain Research) में जुटाए गए मस्तिष्क के सैंपल की तुलना में करीब 50% ज्यादा तुलना वर्तमान प्रशिक्षण में पाई गई है। इसका मतलब यह है कि हमारा मस्तिष्क 99.5% मस्तिष्क है और बाकी प्लास्टिक है। वैज्ञानिकों द्वारा कहा गया है कि यह भी संभव है कि प्लास्टिक को मापने के वर्तमान त्रिकोण ने शरीर में उनके स्तर को कमियां ज्यादा आता हो। एकदम सही और सटीक अनुमान लगाने के लिए फिलहाल कड़ी मेहनत जारी है। 

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इन मरीजों में 5 गुना अधिक पाई गई प्लास्टिक (health news)

शोधकर्ताओं के अनुसार डिमेंशिया (dementia) से पीड़ित 12 लोगों के मस्तिष्क में एक स्वस्थ मस्तिष्क की तुलना में तीन से पांच गुना अधिक प्लास्टिक के टुकड़े पे गए हैं। यह टुकड़े इतने बारीक थे कि इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। यह टुकड़े मस्तिष्क की धमनियों और नसों की दीवारों के साथ-साथ मस्तिष्क की प्रतिरक्षा कोशिकाओं में भी घुस गए थे। 

यह मामला चिंताजनक है, डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें रक्त मस्तिष्क अवरोध और निकासी तंत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह भी संभावना है कि डिमेंशिया के साथ सूजन वाली सेल्स और ब्रेन टिशु मिलकर प्लास्टिक के लिए एक प्रकार का सिंक भी बना सकते हैं। अल्जाइमर और पार्किंसन एस के बीच माइक्रो प्लास्टिक का गहरा संबंध हो सकता है।

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दिमाग में कैसे प्रवेश कर रहा है प्लास्टिक?

इस पूरी खबर को पढ़ने के बाद आपके मन में सवाल आया होगा कि आखिर हमारे शरीर में प्लास्टिक (plastic in human brain) प्रवेश कैसे कर रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि माइक्रो प्लास्टिक हमारे खान और पानी के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। खास तौर पर प्लास्टिक से दूषित पानी से सिंचित फैसले और मांसाहारी भोजन में इसकी मात्रा अधिक पाई गई है। बोतलों और प्लास्टिक के कप में इस्तेमाल किए जाने वाला प्लास्टिक सबसे ज्यादा दिमाग में जमा हो रहा है। प्लास्टिक के छोटे-छोटे कान ब्लड ब्रेन बैरियर को पार कर दिमाग में प्रवेश कर रहे हैं। 

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