उत्तराखंड

Chamoli Avalanche: माणा गांव आपदा ने खोली प्रबंधन तंत्र की पोल

Chamoli Avalanche: उत्तराखंड राज्य हर तरह की प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से संवेदनशील है। इसके बावजूद भी अभी तक प्रदेश में समुचित आपदा निगरानी तंत्र सही से विकसित नहीं हो पाया है। ऊंचे हिमालय क्षेत्र में एवलांच और ग्लेशियर जिलो से निकलने वाली तबाही को लेकर मशीनरी के हाथ बंधे हुए हैं। 

माणा आपदा के बाद सक्रिय हुआ प्रबंधन तंत्र (mana avalanche)

माणा के पास हिमस्खलन की घटना के बाद से आपदा प्रबंधन तंत्र फिर से सक्रिय हो गया है। इसी प्रकार की घटना फरवरी 2021 में हुई थी जब चमोली जिले में ऋषिगंगा कैचमेंट से जल प्रलय की घटना हुई थी। बताया जा रहा है कि उसके मुकाबले माणा की घटना बेहद छोटी है। उसे दिन 7 फरवरी की सुबह रौंथी पार्वती से करीब आधा किलोमीटर लंबा हैंगिंग ग्लेशियर टूट गया था। उस समय इस तरह के खतरों से पहले से ही सचेत रहने की तमाम कोशिश भी की गई थी। 

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सेटेलाइट से हो रही थी ग्लेशियर क्षेत्र की निगरानी (Chamoli Avalanche)

ऋषिगंगा में हुई आपदा के बाद ग्लेशियर क्षेत्र की सेटेलाइट से निरंतर निगरानी की बातें सामने आई थी। जिससे, समय रहते ग्लेशियर और ग्लेशियर जिलो में आ रहे असामान्य बदलाव की पहचान की जा सके। हालांकि, जिस तरह से बद्रीनाथ के माणा क्षेत्र में श्रमिक एवलांच जोन में निरंतर बर्फबारी के बीच काम कर रहे थे। उससे निगरानी तंत्र को लेकर बड़े सवाल खड़े हुए हैं।

आगे भी जारी रहेगी ऐसी घटनाएं (uttarakhand avalanche)

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के पूर्व विज्ञानी और प्रमुख हिमनद विशेषज्ञ डॉक्टर डीपी डोभाल के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण उत्तराखंड के हजारों छोटे बड़े ग्लेशियरों का आकार निरंतर बदल रहा है। जिस वजह से इस तरह की घटनाएं आगे भी जारी रहेगी। ग्लेशियर झीलें बन रही है और दो दर्जन के करीब झीलें चेतावनी भी दे रही हैं। जिस वजह से ग्लेशियर क्षेत्र में हर एक गतिविधि का संचालन प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर करना होगा। 

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तेजी से पिघल रही बर्फ (uttarakhand glaciers)

मिजोरम विश्वविद्यालय के सीनियर प्रोफेसर विशंभर सती ने अपने ताजा अध्ययन के हवाले से बताया कि उत्तराखंड में 30 सालों में बर्फ की मात्रा 36 प्रतिशत कम हुई है। इसके अनुसार जलवायु परिवर्तन से एवलांच और ग्लेशियर जिलो के खतरे भी बढ़ेंगे। जिसको लेकर अब ग्लेशियर क्षेत्र के लिए नए तरीके से निगरानी और सुरक्षा तंत्र बनाने की आवश्यकता है। 

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