Haridwar: रेलवे ट्रैक पर बार-बार भूस्खलन, फिर भी सुरंग का सपना?
Haridwar: धर्मनगरी हरिद्वार में कभी तो गोलीकांड की घटनाएं सामने आ रही है। वहीं दूसरी ओर भीमगोडा स्थित काली मंदिर टनल के पास बार-बार भूस्खलन भी हो रहा है। आज तीसरी बार भीमगोडा में काली मंदिर के पास अचानक से भूस्खलन हुआ है। जिसकी वजह से रेलवे ट्रैक पर भारी मात्रा में मलबा और पत्थर आए हैं। इतना सब होने के बावजूद भी हरिद्वार के सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मां मनसा देवी पहाड़ियों के नीचे 10 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की है। आगे पढ़ते हैं की मनसा देवी के पहाड़ों की स्थिति के बारे में भू वैज्ञानिकों का क्या कहना है।

सांसद ने दिया सुरंग बनाने का प्रस्ताव

हरिद्वार के सांसद और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की मांग मनसा देवी पहाड़ियों के नीचे 10 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की है। उन्होंने सुरंग बनाने का प्रस्ताव सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को दे दिया है। उनका मानना है कि इस टनल के माध्यम से शहर की भीड़ को रायवाला मोतीचूर तक भेजा जा सकेगा।
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मिट्टी में ज्यादा ताकत नहीं (Haridwar Latest News)
लेकिन, मनसा देवी पहाड़ियों पर कई भू वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है- एक रिसर्च में मनसा देवी हिल बाईपास रोड के आसपास की ढलानों की geological, geotechnical और GPR investigations की गई है। जिसमें साफ तौर पर पाया गया है कि यहां की मिट्टी में ज्यादा ताकत नहीं है और कई जगहों पर भूस्खलन का खतरा हमेशा बना रहता है।
मिट्टी मुख्यतः रेतीली और असंबद्ध
मिट्टी मुख्यतः रेतीली और असंबद्ध ( non-cohesive) पाई जाती है, जबकि कहीं-कहीं अपक्षयित बलुआ पत्थर (weathered sandstone)भी है। (ADS Harvard Abstract, OUCI Research Index) भारी मानसून के दौरान लगातार भूस्खलन की घटनाएं भी हुई है। और वर्तमान में भी हो रही है। जिसमें देखा जा सकता है कि मंदिर के पास, रेलवे ट्रैक और सड़कों पर मलबा गिरने की घटनाएं हो चुकी है। (Telangana Today, Carbon Impacts Report)
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इसे देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग और भूस्खलन न्यूनीकरण केंद्र ने मनसा देवी और चंडी देवी इलाकों का vulnerability study किया और रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप थी। जिसमें कई “vulnerable zones” की पहचान कर तत्काल कार्रवाई की जरूरत भी बताई थी।
भारी मानसून वर्षा के दौरान यहां लगातार भूस्खलन की घटनाएँ देखी गई हैं, जिससे मंदिर के पास, रेलवे ट्रैक और सड़कों पर मलबा गिरने की घटनाएँ हो चुकी हैं। (NewsDrum, Janta Serishta)