Kedarnath Yatra: केदारनाथ हवाई सेवा बनी वन्यजीवों के लिए मुसीबत
Kedarnath Yatra: केदारनाथ में हवाई सेवा वन्यजीवों के लिए समस्या बन गई है। जिस तरह से इंसान एक जगह से परेशान होकर दूसरी जगह पलायन करता है। इस तरह से अब जानवरों ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया है। जिसका मुख्य कारण इंसानों की सुविधा के लिए होने वाली विभिन्न गतिविधियां हैं। इस समस्या को कम करने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं। लेकिन, फिर भी समस्या बरकरार है।
Kedarnath Yatra में हवाई सेवा बनी मुसीबत
केदारनाथ में हवाई सेवा (kedarnath heli service) वहां मौजूद वन्य जीवों के लिए मुसीबत बन गई है। उत्तराखंड में 70 फीसदी वन क्षेत्र है और पिछले कुछ समय में हवाई सेवाओं को बढ़ाने की तरफ भी राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार का ध्यान जारी है। हवाई सेवा के बढ़ने से वन क्षेत्र में मौजूद जंगली जानवरों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। केदारनाथ की बात करें तो वहां पर मंदिर तक लोगों को पहुंचाने के लिए 09 कंपनियां सेवाएं देती हैं।
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विशेषज्ञों ने क्या कहा? (Kedarnath Yatra 2025)
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी वन्य जीव के लिए 40 decibel से ज्यादा की ध्वनि उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। इस परेशानी से बचने के लिए जंगली जीव पलायन कर लेते हैं। इसके बाद आवाज कम होने पर वह अपने स्थान (uttarakhand news) पर वापस आ जाते हैं। लेकिन जब वह दूसरी जगह पलायन करते हैं तब परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि यह वन्य जीव दूसरे क्षेत्रों में जाते हैं और इससे इंसानों और जंगली जानवरों के बीच संघर्ष की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं।
आजादी से नहीं रह पा रहे जानवर
एक तरफ जहां मनुष्य अपनी आजादी को लेकर धरना प्रदर्शन करता है। दूसरी ओर जानवरों के पास यह अधिकार भी नहीं है। बात केवल केदारनाथ की नहीं है। उत्तराखंड में कई ऐसी जगह है जो वन संपदा से घिरी हुई है। उन स्थानों को पर्यटन स्थान में बदला जा रहा है। जिसकी वजह से वन्य जीव जंगलों में आजादी से नहीं घूम पाते हैं। इसी वजह से नए कॉरिडोर बनाने के सुझाव भी दिए गए हैं। साथ ही कई जगहों पर इन कॉरिडोर को तैयार कर वन्यजीवों का जंगलों में स्वतंत्र तरह से घूमना जारी रखने का प्रयास किया गया है।
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जंगली जानवरों को शांति पसंद (uttarakhand wildlife)
आपने आजकल देखा होगा कि लोगों को अगर शांत वातावरण का अनुभव करना हो तो वह पहाड़ों और जंगलों की ओर जाते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जंगलों में कितनी ज्यादा शांति रहती है। जिस वजह से जंगली जानवरों को भी शांति से रहने की आदत बन जाती है। लेकिन, मनुष्य अपनी गतिविधियों से और जरूरत से ज्यादा आवाज (Kedarnath Yatra) से वन्यजीवों को पलायन करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस वजह से वन्य जीव आक्रामक भी हो जाते हैं।