नैनीताल: सुरक्षित विस्थापन के लिए तरसे ग्रामीण! नदी बनी संकट
नैनीताल: नैनीताल जिले के रामनगर से 24 किलोमीटर दूर चुकम गांव के विस्थापन का मामला निपटने का नाम नहीं ले रहा है। साल 1993 से विस्थापन की उम्मीद लगाए बैठे ग्रामीण आज भी ठोस समाधान के इंतजार में है। लगभग 30 दशक से सरकारी योजनाओं के इंतज़ार में उलझे हुए ग्रामीणों का सब्र खत्म होता नजर आ रहा है।
विस्थापित नहीं हो पा रहे ग्रामीण (Nainital News)
दरअसल, चुकम गांव रामनगर वनप्रभाग के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील है। जिस वजह से वर्षों पहले ही इसे विस्थापित करने की जरूरत महसूस हुई थी। इसके बाद भी लंबे इंतजार के बाद प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को रामनगर के आमपोखरा रेंज में बसाने की योजना बनाई गई थी। जिसके अंतर्गत सर्वे हुआ, जमीन चिन्हित हुई और ग्रामीणों को उम्मीदें दी गई। लेकिन आखिरी समय पर वन विभाग की आपसी कलह और कुछ आपत्तियों की वजह से यह योजना पूरी नहीं हो पाई।
यह भी पढ़ें: Nainital: पर्यटक ने की हद पार किया घुघूती पक्षी का शिकार
एसडीएम प्रमोद कुमार ने दिया बयान
इस मामले में एसडीएम प्रमोद कुमार (Nainital News Latest) ने बयान दिया है कि प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं कि ग्रामीणों को बेहतर विकल्प मिले। लेकिन कुछ अर्चन प्रक्रिया में आ रही है जिन्हें हल किया जा रहा है और जल्द ही कोई ठोस निर्णय भी लिया जाएगा।
ग्रामीणों ने प्रस्ताव ठुकराया
प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को उधम सिंह नगर जिले के जसपुर में बसाने का प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन ग्रामीणों ने इस प्रस्ताव को नकार दिया है। उनका मानना है कि वह नैनीताल जिले और रामनगर तहसील की भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। उन्हें जसपुर में स्थापित करना उनकी सामाजिक और पारिवारिक जड़ों को काटने के समान है।
यह भी पढ़ें: Rishikesh Temples: ऋषिकेश जा रहे है तो इन मंदिरों में जरूर करें दर्शन
नदी पार कर स्कूल जाते हैं बच्चे (chukam village in nainital)
चुकम गांव (chukam village) में ग्रामीण और स्कूल के बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर नदी को पार करते हैं। नैनीताल जिले के रामनगर से गांव 25 किलोमीटर दूर है। यहां 120 परिवार रहते हैं। बच्चों को स्कूल जाने के लिए 3 किलोमीटर दूर कोसी नदी को पार कर मोहान इंटर कॉलेज जाना पड़ता है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी 50 किलोमीटर दूर रामनगर आना पड़ता है। बारिश के मौसम में जब नदी उफान पर होती है तब गांव का संपर्क रामनगर से टूट जाता है और लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं। नदी के ऊपर अस्थाई पुल बना हुआ है जो बरसात के दौरान बह जाता है। इसी को पार कर स्कूली बच्चे और ग्रामीण आवाजाही करते हैं।