नैनीताल

Nanda Sunanda Yatra: मां का स्वरुप और आने वाले साल का संदेश

Nanda Sunanda Yatra: नैनीताल में मां नंदा सुनंदा के 123वें महोत्सव का आगाज हो गया है। बीते दिन मां की मूर्ति निर्माण के लिए चोपड़ा गांव से कदली वृक्ष यानी केले के पेड़ नैनीताल लाए गए हैं। कदली वृक्ष को नैनीताल लाने के बाद स्थानीय महिलाओं और भक्तों ने उत्तराखंड पारंपरिक परिधान पहन कर कदली वृक्ष का स्वागत किया। हजारों की संख्या में भक्तों ने कदली वृक्ष का मिलकर स्वागत किया।

Nanda Sunanda

कदली वृक्ष का नैनीताल भ्रमण (Nanda Sunanda Yatra)

कदली वृक्ष का नैनीताल भ्रमण कराया गया जिसमें शहर के स्कूली बच्चों ने शोभा यात्रा भी निकाली। इसके बाद मां नयना देवी मंदिर परिसर में कदली वृक्षों का अभिषेक हुआ। आज इन वृक्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा और अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा सुनंदा की प्रतिमाओं को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। दोनों वृक्षों को मूर्ति निर्माण के लिए मंदिर प्रांगण में रखा गया है।

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खुद धारण करती है स्वरूप

मान्यता है कि कदली वृक्ष में मां नंदा और सुनंदा अपना स्वरूप खुद धारण करती हैं। माता के हंसते हुए चेहरे को शुभ संकेत के रूप में माना जाता है और गंभीर चेहरे को दुख भरा माना जाता है। मां नंदा सुनंदा की बनाई मूर्ति से आने वाला समय कैसा रहेगा इसका आकलन किया जा सकता है। इको फ्रेंडली रंगों का प्रयोग किया जाता है।

Nanda Sunanda Yatra

क्या है नंदा-सुनंदा का इतिहास? (Nanda Sunanda Yatra History)

पौराणिक कथाओं में वर्णित जानकारी के अनुसार एक बार मां नंदा सुनंदा अपने ससुराल जा रही थी। तभी राक्षस रूपी भैंस ने मां नंदा-सुनंदा का पीछा किया। उन्होंने भैंसे से बचने के लिए पेड़ के पीछे छिपना सही समझा। तभी वहां खड़े बकरे ने उस केले के पेड़ के पत्तों को खा लिया। इसके बाद राक्षस रूपी भैंस ने मां नंदा-सुनंदा को मार दिया। इस दिन के बाद से हर साल मां नंदा-सुनंदा का यह महोत्सव मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार मां नंदा-सुनंदा अष्टमी के दिन स्वर्ग से धरती में अपने ससुराल आती है और कुछ दिन यहां रहकर वापस अपने मायके लौट जाती है।

Nanda Sunanda Mela 2025

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चंद राजाओं के वंशज करते हैं पूजा

मंदिर व्यवस्थापक अनूप साह ने बताया कि प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्थान से कदली वृक्षों को लाया जाता है। मां नंदा-सुनंदा की पूजा-अर्चना चंद राजाओं के वंशज करते हैं।

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