Nepal Protest: नेपाल में हो रही हिंसा से क्या भारत सीमा पर पड़ेगा सीधा असर?
Nepal Protest: हाल ही में नेपाल में युवा नेतृत्व में बड़े प्रदर्शन हुए हैं। जो सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। इन प्रदर्शनों के दौरान हालात उग्र हो गए। सड़कों पर भीषण टकराव देखने को मिला। कई सरकारी इमारतों में आग लग गई और भारी जनहानि की खबरें सामने आई। रिपोर्ट के मुताबिक इन झगड़ों में कम से कम 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है और 500 से ज्यादा घायल है। सरकार ने सोशल मीडिया बैन वापस ले लिया है। लेकिन, राजनीतिक संकट, प्रधानमंत्री के इस्तीफे और कर्फ्यू घोषणा से देश में बरबर हालात है। ऐसे हालातों में सबके मन में एक ही सवाल उठ रहे हैं की आखिर नेपाल में हो रहे इस उग्र प्रदर्शन से भारत को क्या हानि हो सकती है।
नेपाल से भारत को असुरक्षा (nepal protests gen z)

सीमा सुरक्षा और शरणार्थी प्रवाह
अगर हिंसा और बढ़ी और नागरिक सुरक्षा खत्म (Nepal social media ban) होती है तो लोग सीमा पार कर भारत में शरण मांग सकते हैं। खासकर सीमावर्ती जिलों में। बड़ी संख्या में शरणार्थी आने से स्थानीय प्रशासन, पुलिस और प्रशासनिक संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा। भारत और नेपाल की सीमा खुली हुई है। जिसके कारण यह जोखिम वास्तविक और जल्दी असर डालने वाला है। ऐसी स्थित स्थानीय कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। इसे देखते हुए राज्य सरकारों ने सतर्कता दिखानी शुरू कर दी है और केंद्र ने नागरिकों को नेपाल न जाने की सलाह दी है।
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आर्थिक और सैलानी असर

काठमांडू का प्रमुख हवाईअड्डा (kathmandu airport closed) कुछ समय के लिए बंद हुआ है। कहीं उड़ाने डाइवर्ट और कैंसिल हुई है। इससे यात्रा रूट, पर्यटन और परिवहन श्रृंखलाओं पर भी असर पड़ता है। नेपाल-भारत व्यापार, बस और माल ढुलाई भी प्रभावित हो सकती है। जिससे उत्तर पूर्व और हिमालय सीमा क्षेत्र में सप्लाई लाइन पर दबाव बन सकता है।
भारतीय नागरिकों और संस्थाओं का जोखिम

नेपाल में फंसे हुए भारतीय नागरिकों, छात्रों और व्यवसाईयों (Nepal political crisis) की सुरक्षा समस्याएं उभर रही हैं। कई राज्यों की सरकारी इमरजेंसी सेल बना रही है। दूतावास पर दबाव बढ़ सकता है और जरूरत पड़ी तो लोगों का निकास भी करना पड़ सकता है। यह सारी प्रक्रियाएं समय, संसाधन और रणनीति मांगेगी।
दुष्प्रचार और सीमा पर राजनीतिक प्रभाव (gen z protest nepal)

सोशल मीडिया “प्रतिबन्ध” पर ही जनता खफा थी। ऐसे में अफवाह, झूठी सूचनाओं और गलत ऑनलाइन कैंपेन तेजी से फैल सकता है। जो सीमा पर भावनात्मक अस्थिरता को और ज्यादा बढ़ा सकता है। इसके अलावा आंतरिक राजनीतिक उथल-पुथल का उपयोग बाहरी कूटनीतिक खेल में भी हो सकता है। जहां बड़े ताकतवर पड़ोसी जैसे चीन स्थिरता बहाल करने या अपने प्रभाव को बढ़ाने का अवसर खोज सकते हैं। नेपाल-भारत- चीन के बीच संतुलन भारत की रणनीतिक स्थिति पर असर डाल सकता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर जोखिम
नेपाल में लंबी राजनीतिक अनिश्चितता से दोनों देशों के बीच चल रहे या प्रस्तावित पावर हब, रोड ट्रांसिट और हाइड्रो प्रोजेक्ट धीमे या अटक सकते हैं। सीमावर्ती लॉजिस्टिक्स बाधित होने पर भारत के उत्तर पूर्व और हिमालय लॉजिस्टिक मार्गों पर असर पड़ेगा। अगर नियंत्रण कमजोर पड़ा तो कुछ सशस्त्र या निहित स्वार्थ समूह सीमा (Nepal violence) पर गैर कानूनी गतिविधियों का अवसर पैदा कर सकते हैं। जो सुरक्षा चुनौतियों को चोक देगा। यह खतरा सबसे ज्यादा तब बढ़ता है जब स्थानीय पुलिस या प्रशासन व्यस्त हो और निगरानी कमजोर हो।
क्या कर सकता है भारत? (Nepal refugee impact on India)
- सीमा सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रखें और संवेदनशील इलाकों में पैदल गश्त बढ़ाएं।
- दूतावास सक्रिय रखें और भारतीय को सुरक्षित निकासी या आवास सहायता दें।
- हवाई मार्ग या कंपनियों के साथ समन्वय कर एयरलाइंस नीतियां अपडेट रखें और जरूरी स्थिति में ह्यूमैनिटेरियन रूट बनाएं।
- कूटनीतिक स्तर पर तुरंत संवाद बनाएं। नेपाल के संवैधानिक प्रक्रियाओं और नागरिक सम्मान की वकालत करें। इसके अलावा क्षेत्रीय बड़ी ताकतों की गतिविधि पर भी निगरानी रखें।
- यानी कि कहां जा सकता है कि नेपाल (India-Nepal border issues) की ताजा स्तिथि सीधे तौर पर भारत के सीमा सुरक्षा, नागरिक सुरक्षा, वायु परिवहन और क्षेत्रीय रणनीति पर असर डाल सकती है। तत्काल सावधानी, कूटनीतिक वार्तालाप और स्थानीय प्रशासनिक तैयारी ही ऐसे समय में प्रभावी बचाव है।