Reetha Sahib की कहानी: गुरु नानक के चमत्कार से कड़वे रीठे हुए मीठे
Reetha Sahib की कहानी: उत्तराखंड में नदिया घाटी क्षेत्र स्थित पवित्र गुरुद्वारा रीठा साहिब में तीन दिवसीय जोड़ मेला सोमवार से शुरू हो गया है। 9 जून से लेकर 11 जून तक आयोजित होने वाले मेले में देश-विदेश से हजारों की संख्या में सिख श्रद्धालु शामिल होंगे। मेले में शामिल होने के लिए चार दिन पहले से ही तीर्थ यात्रियों का पहुंचना शुरू हो गया था। रविवार को भी पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली नानकमत्ता सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु पहुंचे।
CCTV कैमरे से रखी जाएगी (Reetha Sahib)
गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह ने जानकारी दी है की 10 जून को मुख्य मेला और 11 जून को अखंड पाठ और भोग के साथ मेले का समापन होगा। मेले के सफल आयोजन के लिए सभी तैयारियां भी की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि परिसर और कमरों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। साथ ही तीर्थ यात्रियों के ठहरने की भी पर्याप्त व्यवस्था है।

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सिख श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
सिखों (Reetha Sahib Mela) का पवित्र तीर्थ स्थल गुरुद्वारा रीठा साहिब मीठे मीठे के चमत्कार के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इस पवित्र स्थल में प्रति वर्ष लगने वाला जोड़ मेला गुरुद्वारे के प्रति सिक्कों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। स्थान पर देश से ही नहीं विदेश से भी सिख तीर्थ यात्री गुरु दरबार में मत्था टेकने आते हैं।
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रीठा साहिब गुरुद्वारा का इतिहास (Reetha Sahib History)

साल 1501 में गुरु नानक देव (Jod Mela) अपने शिष्य बाला और मर्दाना के साथ मीठा साहब आए थे। इस दौरान बाल और मर्दाना को भूख लगी थी। उन्होंने नानक देव से उनकी भूख शांत करने का आग्रह किया। उसे दौरान वहां केवल रीठे के ही पेड़ थे। नानक देव ने बाहर निवास कर रहे गुरु गोरखनाथ के शिष्यों से भोजन मांग कर खाने का आदेश दिया। जब मरदाना ने बहुत भोजन देने का आग्रह किया तो साधुओं ने उनका उपहास उड़ते हुए व्यंग्य किया। कहा जिस गुरु पर तुम्हें इतना गर्व है वह तुम्हारी भूख शांत क्यों नहीं कर देता।
यह बात किसने अपने गुरु को बताई तब गुरु नानक ने अपनी आध्यात्मिक दृष्टि से रीठे के पेड़ों को देखा और अपने शिष्यों से सामने खड़े रीठे के पेड़ से फल खाने को कहा। रीठा आम तौर पर कड़वा होता है लेकिन जैसे ही शिष्यों ने लिखे के फल खाए वह मीठे थे। कहा जाता है कि तब से लेकर आज तक इन पेड़ों में मीठा रीठा पैदा हो रहा है। इसी रीठे को प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं को दिया जाता है।