उत्तराखंड निकाय चुनाव का मामला हाई कोर्ट पहुंचा, धांधली की आशंका
उत्तराखंड निकाय चुनाव: मसूरी नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष पद की निर्दलीय प्रत्याशी उपमा पंवार गुप्ता ने मतगणना में धांधली की आशंका जताई थी। इस वजह से उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उपमा पंवार ने मांग की थी कि मतगणना में पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए सीसीटीवी कैमरे की निगरानी जरूरी है।
कैमरे की निगरानी में होगी मतगणना
उपमा पंवार द्वारा दी गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अशोक वर्मा की पीठ ने बड़ा फैसला लिया। सनी के दौरान अधिवक्ता भवन भट्ट ने कोर्ट को बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग मतगणना के लिए सीसी कैमरा को इंस्टॉल करेगा। पूरी मतगणना कमरों की निगरानी में ही की जाएगी। इसके बाद कोर्ट ने सरकार पक्ष और याचिका करता के आग्रह और समाधान के क्रम में याचिका को निस्तारित कर दिया है।
उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने बहुत बड़ा फैसला लिया
उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने बहुत बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश कांग्रेस ने बागी नेताओं पर सख्ती करने का कदम उठा लिया है। कमेटी ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसजनों। इसके अलावा पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्प्ट पार्टी नेताओं को तत्काल रूप से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के सोशल मीडिया सलाहकार अमरजीत सिंह ने जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि पार्टी ने किन बागी नेताओं को निष्कासित कर दिया है। रुड़की में मेयर पद के खिलाफ अपनी पत्नी को बागी के रूप में चुनाव लड़ा रहे पूर्व में यशपाल राणा। रुद्रप्रयाग से बागी उम्मीदवार संतोष रावत।
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उखीमठ से कुब्जा धर्मवाण, नगर पालिका बागेश्वर से कवि जोशी, कोटद्वार में बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे कांग्रेस पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष महेंद्र पाल सिंह रावत, ऋषिकेश नगर निगम में दिनेश चंद्र मास्टर और महेंद्र सिंह, चमोली जनपद के गोचर से सुनील पंवार, करणप्रयाग से गजपाल सैनी, अनिल कुमार व अनीता देवी।