उत्तराखंड

Uttarakhand Flood: उत्तराखंड में नदियों किनारे बसे शहरों और नगरों की लिस्ट

Uttarakhand Flood: उत्तरकाशी जिले के धराली में आई भीषण आपदा ने एक बार फिर से उत्तराखंड में नदियों किनारे बसे शहरों और नगरों की चिंता बढ़ा दी है। उत्तराखंड में एक दो नहीं बल्कि ऐसे बहुत से शहर, नगर और कस्बे है जो नदियों और गधेरों के किनारे हैं। हैरानी वाली बात है की ऐसा नहीं है कि इनकी बसावट शुरू से ही नदियों के नजदीक थी। बल्कि लोगों ने खुद धीरे-धीरे नदियों और गधेरों के किनारों पर कब्जा करके उनके रास्ते को संकरा कर दिया है।

धराली था नदी किनारे (Uttarakhand Flood)

धराली में आई बाढ़ में नदी, नालों और गधेरों के किनारे बसे शहरों नगरों और कस्बो की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। जो इतना गंभीर है कि अब नदियों से 100 मीटर दूर बसावट होने की बात भी जोर पकड़ने लग गई है। धराली मार्केट में भयंकर आपदा आई। वह खीर गंगा नदी से पास तट पर ही था। इतना नजदीक की जरा सा जलस्तर बढ़ता था तो खीर गंगा मार्केट को छूते हुए बहती थी।

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इन शहरों पर मंडरा रहा खतरा

राज्य में कई ऐसे शहर, नगर और कस्बे है जो भविष्य में ऐसी आपदा का शिकार बन सकते हैं। उत्तरकाशी, चिन्यालीसौड़, धरासू और देवप्रयाग जैसे धार्मिक और पौराणिक शहर भागीरथी नदी के किनारे बसे हुए हैं। देवप्रयाग एक तरफ से भागीरथी और एक तरफ अलकनंदा नदी से घिरा है। जहां पर बाढ़ आने का बहुत बड़ा खतरा है और लोगों ने दोनों नदियों के बहुत पास तक निर्माण कर लिया है।

अलकनंदा के किनारे बसे नगर (Uttarakhand Flood)

अलकनंदा नदी के किनारे बसे नगरों को भी काफी खतरा है। बद्रीनाथ, नंदप्रयाग, चमोली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग और श्रीनगर तक की बसावट अलकनंदा के किनारे हैं। लोगों ने मकान और दुकान नदी के तट तक बना लिए हैं। कर्णप्रयाग में बागेश्वर से आकर पिंडर नदी, अलकनंदा में मिलती है। जिसके कारण अलकनंदा का आकार दोगुना हो जाता है। हैरानी वाली बात है कि पिंडर के किनारे बिम डालकर होटल और बड़े मकान खड़े किए गए हैं।

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हरिद्वार-ऋषिकेश में भी यही हाल

देवप्रयाग से जब भागीरथी और अलकनंदा मिलकर गंगा बन जाती है। तो आगे ऋषिकेश और हरिद्वार में पहुंचती है। इन दोनों शहरों में भी गंगा के पास रिसॉर्ट और होटल बन चुके हैं। बाढ़ में इन्हें हमेशा खतरा ही बना रहता है।

मंदाकिनी के किराने शहर (Uttarakhand Flood News)

मंदाकिनी नदी के किनारे बसे मुख्य शहर और कस्बे केदारनाथम , गौरीकुंड, रामबाड़ा, गुप्तकाशी और रुद्रप्रयाग है। मंदाकिनी नदी कभी भी अतिक्रमण से नाराज हो सकती है। सोनप्रयाग में वासुकीगंगा के मिल जाने से मंदाकिनी का जलस्तर बढ़ जाता है। जिस वजह से इन नगरों को हमेशा बाढ़ का खतरा रहता है। रुद्रप्रयाग में मंदाकिनी जब अलकनंदा में मिलती है तो अलकनंदा की जलधारा बढ़ जाती है।

कुमाऊं में भी नदी किनारे बसे नगर

कुमाऊं मंडल में भी कई नगर नदियों के किनारे बसे हुए हैं। रामगंगा के किनारे धुनारघाट, दाड़मडाली, सैंजी, चौखुटिया, मासी जैसे नगर है। इनके अलावा नैनीताल और उधमसिंह नगर जिलों में होकर बहने वाली गौला नदी भी बरसात में खतरनाक रूप धारण कर लेती है। इस नदी के किनारे किच्छा, काठगोदाम और हल्द्वानी नगर बसा हुआ है। बागेश्वर जिले में कौसानी के पास धारपानी से निकलने वाली कोसी नदी भी उत्तराखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक का सफर तय करती है।

ऊपर बताए गए जितने भी नगर है वहां हर साल बाढ़ का खतरा बना रहता है। कितने नगरों से बाढ़ के कारण हुई तबाही की खबर भी आती है लेकिन फिर भी धड़ल्ले से निर्माण कार्य जारी है। आखिर हमारी सरकार कब इन बातों को सही से समझेंगे और नदी किनारे निर्माण पर रोक लगाएगी। साथ ही लोगों को भी पर्यावरण की दृष्टि से ही नगर में बसाने का चुनाव करना चाहिए।

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