उत्तराखंड

Uttarakhand Forest Fire: अब तक वन कर्मियों को नहीं मिला फायर सूट

Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में फायर सीजन खत्म होने को आ रहा है। लेकिन, हैरानी वाली बात है अभी तक वन कर्मियों को फायर सूट नहीं मिले हैं। पर्याप्त सामान के अभाव में वनकर्मी जंगलों में डांटे हुए हैं लेकिन कोई उनकी सुध लेने वाला मौजूद नहीं है। ऐसी स्थिति तब बनी हुई है जब विभाग जंगलों में लगने वाली आग को लेकर पहले से ज्यादा गंभीर होने की बात कर रहा है। यह खबर एक प्रतिष्ठित समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है।

वन विभाग के लिए चुनौती भरा समय (Uttarakhand Forest Fire)

प्राप्त जानकारी के अनुसार वन विभाग के लिए 15 फरवरी से लेकर 15 जून तक का समय सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है। इस दौरान जंगल में गर्मी बढ़ने की वजह से आग लगने की समस्या भी बढ़ जाती है। हर साल सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ जाते हैं और वनों को इससे भारी नुकसान भी होता है। स्थिति को देखते हुए जंगलों की आग को आपदा में शामिल किया गया है। ऐसा होने पर बजट को लेकर कोई समस्या नहीं आती है और जंगलों की आग को रोकने के लिए किसी भी तरह की कमी भी नहीं होती।

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दिसंबर से हुई तैयारी पर सब हैरान

जंगलों में आग की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए नवंबर या दिसंबर के महीने से तैयारी शुरू कर दी जाती है। इस दौरान वन कर्मियों की तैनाती से लेकर अतिरिक्त कर्मियों की आउटसोर्स के आधार पर नियुक्ति और फायर वाचर की क्षेत्र में भी तैनाती की जाती है। इसके अलावा क्रूज स्टेशन भी चिन्हित किए जाते हैं और पूरा आकलन करने के बाद जरूरी सामान की खरीद भी पूरी कर ली जाती है।

अभी तक नहीं मिले फायर सूट (Uttarakhand Fire)

वन विभाग (Uttarakhand Forest Fire) के अलावा आपदा प्रबंधन विभाग भी वन विभाग के लिए कुछ उपकरण और सामान की खरीदारी में इस बार जुटा हुआ था। इसमें वन कर्मियों की सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण सामान उपलब्ध करवाना था। हैरानी वाली बात है कि यही सामान उपलब्ध नहीं हुआ और पूरा फायर सीजन खत्म होने के नजदीक है। अब तक इस सामान की उपलब्धता वन विभाग को नहीं कराई जा सकी है।

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अपनी तरफ से प्रयास पूरे कर रहा वन विभाग

प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (Uttarakhand Forest Fire News) के माध्यम से आपदा के तहत वनकर्मियों की सुरक्षा से जुड़े सामान को खरीद जाना है। वन विभाग ने इसके लिए संबंधित कंपनी को वर्क आर्डर भी दिया जा चुका है। इसके तहत हर क्रूज स्टेशन पर पांच-पांच पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर्स दिए जाने थे। उत्तराखंड वन विभाग भी इस बार आपदा प्रबंधन विभाग से अपने कर्मचारियों को सुरक्षा के मिलने का इंतजार कर रहा था।

इसके लिए वन विभाग ने आपदा प्रबंधन विभाग के संबंध में यूनिट को पत्र लिखकर जल्द से जल्द सामान की उपलब्धता करवाने की मांग भी की। हालांकि, कोई फायदा नहीं हुआ और अब तक वह विभाग को यह सामान उपलब्ध नहीं हो पाया है। वर्ल्ड बैंक के पोषक प्रोजेक्ट टू प्रिपेयर के तहत आपदा विभाग को पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर्स खरीदने थे। जिन्हें आपदा प्रबंधन के माध्यम से विभाग के वनकर्मियों को भी मुहैया करवाना जाना है। इसमें 7,145 पर्सनल प्रोटेक्टिव गियर्स खरीदे जाने हैं।

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