उत्तराखंड

Uttarakhand: सरकारी वादे खोखले; खाली पदों के बावजूद शिक्षक नियुक्ति ठप!

Uttarakhand: डीएलएड प्रशिक्षुओं ने नियुक्ति में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है। नई भर्ती के लिए पिछले तीन महीने से वह निदेशालय और सचिवालय के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन राहत नहीं मिल रही। योग्य छात्रों ने राज्य के सरकारी संस्थानों से डीएलएड की पढ़ाई की है। यह कोर्स करने का मौका भी कठिन परीक्षा देकर मिलता है। पूरे उत्तराखंड (Uttarakhand) में लगभग 650 बच्चे होते हैं। हर जिले में एक डायट है और प्रत्येक जिले में 50 बच्चे होते हैं। सभी को डायट (DIET) में विभिन्न प्रकार के कार्य कराए जाते हैं। एक डीएलएड ट्रेनी ने इस आर्टिकल में बताई गई सभी जानकारी देकर अपना दुख जाहिर किया है।  

ट्रेनिंग और रिक्त पदों के बाद भी नहीं हो रही नियुक्ति  (Uttarakhand News)

प्राथमिक विद्यालय (Uttarakhand DLED Trainees) में डीएलएड ट्रैनीस को सब कुछ बताया जाता है और हमको ट्रेनिंग दी जाती है। सरकारी संस्थानों के प्रोफेसर प्रशिक्षण देने के लिए आते है। यह ट्रेनिंग 120 दिन के लिए प्राथमिक विद्यालय में दी जाती है। उन्हें वहां इंटर्नशिप कराई जाती है। यह इंटर्नशिप 24 दिन के लिए सेकंड सेमेस्टर में होती है 96 दिन चौथे सेमेस्टर में होती है। 

प्राथमिक विद्यालय में जितने भी पंजिकाएं होती हैं, उनको बनाना कैसे हैं।  वहां पर एसएमसी की बैठक कैसे करानी है। बच्चों का विकास कैसे करना है? बच्चों को कैसे पढ़ाना है? उनको कौन-सी एक्टिविटी के माध्यम से पढ़ना है आदि ट्रेनिंग दी जाती है। 

पद खली फिर भी नहीं हो रही नियुक्ति 

दो साल का डिप्लोमा सभी को मिल चुका है। अभी और सरकार के पास 3,000 से ज्यादा पद खाली है। फिलहाल डीएलएड के 650 छात्र पास आउट है। सभी की मांग है कि उनको नियुक्ति दें। प्राथमिक विद्यालय (uttarakhand government schools) की स्थिति खराब होती जा रही है। प्रतिदिन बच्चे कम हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां शिक्षक नहीं है। अगर स्कूल में शिक्षक नहीं होंगे तो कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में डालना क्यों चाहेगा।

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