धार्मिक

01 June Panchang: आज सिंह राशि के लोग ध्यान दें! जानें राहुकाल का समय

01 June Panchang: आज 1 जून 2025 को शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है। आज के दिन अश्लेषा नक्षत्र और ध्रुव योग का सहयोग रहेगा। दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज रविवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 से लेकर 12:43 तक है। इसके अलावा राहुकाल शाम को 5:29 से लेकर 7:12 तक रहेगा। चंद्रमा सिंह राशि में संचरण करेंगे। 

आई पढ़ते हैं 1 जून का पंचांग। जानते हैं पंचांग के पांच अंगों यानी तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण के बारे में। आज कौन सा समय आपके लिए शुभ होगा और आज राहुकाल का क्या समय है?

तिथिषष्टी19:59 तक
नक्षत्रआश्लेषा  21:36 तक
प्रथम करणकौलव08:01 तक
द्वितीय करण तैतिल  19:59 तक
पक्षशुक्ल  
वाररविवार  
योगध्रुव  09:10  तक
सूर्योदय05:25 
सूर्यास्त19:12 
चंद्रमा सिंह21:36  तक 
राहुकाल17:29- 19:12 
विक्रमी संवत्2082 
शक संवत1947विश्वावसु
मासज्येष्ठ 
शुभ मुहूर्तअभिजीत11:55-12:43

पंचांग के पांच अंग

नक्षत्र (01 June ka panchang)

आकाश मंडल में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। 27 नक्षत्र के नाम- अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, मघा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, विशाखा, स्वाति, अनुराधा, जयेष्ठा, मूल, पूर्वषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र है। 

वार (panchang today)

वार का आशय दिन से है। एक सप्ताह में सात बार होते हैं। यह सात बार ग्रहण के नाम से रखे गए हैं- सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार, रविवार। 

योग (01 June ka Panchang)

नक्षत्र की भांति योग भी 27 प्रकार के होते हैं। सूर्य-चंद्र की विशेष दूरियों की स्थितियों को योग कहा जाता है। दूरियों के आधार पर बनने वाले 27 योगों के नाम – विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यातीपात, वरीयान, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।

करण (aaj ki tithi)

एक तिथि में दो करण होते हैं। एक तिथि के पूर्वार्ध में और एक तिथि के उत्तरार्ध में। ऐसे कुल 11 करण होते हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न। विष्टि करण को भद्रा कहते हैं और भद्रा में शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *