आदिबद्री मंदिर के कपाट कल मकर संक्रांति पर ब्रह्ममुहूर्त में खुलेंगे
आदिबद्री मंदिर के कपाट कल मकर संक्रांति के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर मंदिर परिसर के साथ ही नगर के सभी मंदिरों और बाजारों को भव्य रूप से फूलों से सजाया जाएगा। मंदिर के कपाट उद्घाटन पर और भगवान आदिबद्री के माघ मास के पहले श्रृंगार के दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर जाते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में खुलेंगे कपाट
मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार मंदिर (Uttarakhand News) के कपाट काल ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:00 बजे खुल जाएंगे। हालांकि श्रद्धालु सुबह 6:00 बजे से मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। बता दे की मंदिर के कपाट वर्ष में एक माह के लिए बंद होते हैं। कल मंदिर के कपाट खुलेंगे जिसके लिए मंदिर समूह सहित पूरे बाजार को भव्य रूप से सजाया गया है।
कहा है आदिबद्री मंदिर?
गैरसैण से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर आदिबद्री मंदिर स्थित है। स्थानीय निवासियों के अनुसार मंदिर समूह को देखने के लिए श्रद्धालु ग्रीष्मकाल से लेकर शीतकाल तक पहुंचाते हैं। मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है। भगवान नारायण विष्णु भगवान के एक अवतार हैं। आदिबद्री को भगवान विष्णु का सबसे पहले निवास स्थान माना जाता है। मंदिर परिसर के अंदर मुख्य मंदिर में भगवान नारायण की एक पूजनीय काले पत्थर की मूर्ति स्थित है। बद्रीनाथ से पहले आदिबद्री की ही पूजा की जाती है। कि भगवान विष्णु कलयुग में बद्रीनाथ जाने से पहले सतयुग, त्रेता और द्वापर युगों के दौरान यही रहे थे।
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आदिबद्री के दर्शन के अधूरी मानी जाती है बद्रीनाथ यात्रा
मान्यता के अनुसार बद्रीनाथ धाम के दर्शन करने से पहले आदिबद्री मंदिर के दर्शन करने बेहद जरूरी होते हैं। ऐसा करने पर ही बद्रीनाथ की यात्रा सफल मानी जाती है। माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने इन मंदिरों के निर्माण का समर्थन किया था। इसका उद्देश्य पूरे देश में हिंदू धर्म के सिद्धांतों का प्रसार करना था। पुराने जमाने में मंदिर में 16 मंदिरों (makar sankranti) का समूह हुआ करता था।हालांकि, वर्तमान में वहां केवल 14 मंदिर ही रह गए हैं। ऐसा बताया गया है कि दो मंदिर काफी पहले ही खंडित हो गए थे।
मंदिर में मौजूद है 14 अन्य मंदिर
मंदिर में मौजूद 14 मंदिरों के बारे में बताया जाता है कि भगवान के सभी गण। जैसे कि उनकी सवारी के रूप में गरुड़ भगवान, अन्नपूर्णा देवी, कुबेर भगवान, सत्यनारायण, लक्ष्मी नारायण, भगवान गणेश, हनुमान जी, गौरी शंकर, महिषासुर मर्दिनी, शिवालय, जानकी जी, सूर्य भगवान इत्यादि के 14 मंदिर अभी भी मंदिर परिसर में मौजूद है।