हरिद्वार

Haridwar जल जीवन मिशन में अधिकारियों के जुगाड़ से हुआ बड़ा घोटाला 

Haridwar: जल जीवन मिशन की योजनाओं के निर्माण में एक बड़ा घपला सामने आया है। उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और टिहरी के बाद हरिद्वार में बड़ा घपला होने का मामला सामने आया है। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें कई बार अल्टीमेटम दे चुके हैं। लेकिन, अधिकारियों की मनमानी खत्म नहीं हो रही है। हरिद्वार की आठ योजनाओं में सिविल अभियंताओं ने मानको को न मानकर ट्यूबवेल और पंपिंग कार्य खुद ही कर दिए। इस वजह से कार्य मानक विहीन हुआ है और ट्यूबवेल के संचालन की अवधि भी काम हो सकती है।

सिविल अभियंता ने किया अलग काम

पेयजल निगम (Jal Jeevan Mission Scam) में नियम है कि किसी भी पेयजल योजना निर्माण में पेयजल लाइन बिछाने और उपभोक्ताओं के घरों तक कनेक्शन पहुंचने का कार्य केवल सिविल अभियंता का है। इसके अलावा ट्यूबवेल लगाने और बिजली से उसका संचालक करने का काम इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल अभियंता (इंजीनियर) का होता है।  लेकिन, सिविल अभियंता ने अपना कार्य छोड़कर इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल अभियंता का कार्य करा। 

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मैकेनिकल इंजीनियर करता है काम

हरिद्वार (Haridwar) में दोनों अभियंताओं की अलग-अलग शाखा है। योजना निर्माण के दौरान पंपिंग से संबंधित कार्य इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियर की देखरेख में होते हैं। ऐसा होने पर ही कार्य मानक के अनुरूप होने में सक्षम होता है। इसके अलावा ठेकेदारों को पंपिंग संबंधी कार्य का भुगतान भी इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल शाखा के माध्यम से ही होता है। 

सिविल अभियंताओं ने किया पंपिंग संबंधी कार्य (Haridwar Scam)

साल 2020-21 में हरिद्वार जिले के बहादराबाद ब्लॉक में अतमलपुर बोंगला, दूधिया दयाल, नगला खुर्द, आदर्श टिहरी डोबनगर और रुड़की ब्लॉक के शिवपुरी और शेखपुरा गांव में जल जीवन मिशन के तहत बनी योजनाओं में पंपिंग संबंधी कार्य सिविल अभियंताओं ने खुद ही कर दिए थे। 

कार्य में बिछाए गए पाइप की गुणवत्ता कम

इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल शाखा को इसकी बना भी नहीं लगी। सूत्रों के अनुसार इन पंपों में पीछे पाइपों की मोटाई कम है। इस वजह से यह अधिक समय तक नहीं टिक पाएंगे।

पैसों का गड़बड़ घोटाला

एस्टीमेट विभाजित कर बनाई योजना पर जल निगम के नियम अनुसार सिविल शाखा के अधिशासी अभियंता के पास 75 लख रुपए तक के कार्य करने की समर्थ है। लेकिन हरिद्वार में बनी अटो योजनाओं की लागत एक-एक करोड़ से अधिक है। इस वजह से इन योजनाओं के एस्टीमेट को दो-दो हिस्सों में विभाजित कर सिविल अभियंताओं ने निर्माण कर दिया। 

इस मामले की खबर राष्ट्रीय अखबार दैनिक जागरण के न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है। VARTA 360 इस खबर की पुष्टि स्वयं से नहीं करता है। 

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