Coldrif Syrup: कलेक्टर शीलेंद्र को सिरप बैन करने पर आई 150 से ज्यादा कॉल
Coldrif Syrup: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप पर सरकार ने 4 अक्टूबर को बैन लगाया है। लेकिन, यह फैसला पहले छिंदवाड़ा में लिया गया था। जब वहां के तत्कालीन कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने 29 सितंबर को ही इस दवा पर बैन लगाने का आदेश दे दिया था। इस पूरे फैसले के अंदर की कहानी सामने आ गई है। जिसमें दबाव, फोन कॉल्स और बच्चों की जिंदगी बचाने का जज्बा शामिल है।
भारी दबाव का किया डटकर सामना (Coldrif Syrup)
सूत्रों के अनुसार, जब कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कोल्ड्रिफ सिरप (shilendra singh coldrif syrup) पर बैन लगाने के मौखिक निर्देश दिए थे। तब यह खबर भोपाल, दिल्ली और तमिलनाडु तक पहुंच गई थी। इसके बाद उन्हें देशभर से डेढ़ सौ से ज्यादा फोन कॉल्स आने लगी। कई बार उन्हें कहा गया- दवा अच्छी है, जांच रिपोर्ट आने दो. . बैन आपके ऊपर उल्टा पड़ सकता है।’ लेकिन, शीलेंद्र सिंह ने दबाव के सामने झुकना सही नहीं समझा। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर जांच रिपोर्ट आने तक रोक लगाना बच्चों की जान बचा सकता है तो मैं पीछे नहीं हटेंगे।
यह भी पढ़ें: Haripur Kalan: पीठ बाजार का विरोध जायज या चुनाव हारने की बौखलाहट?
गड़बड़ का एहसास हुआ
लेकिन, पत्रिका से बातचीत में कलेक्टर शीलेंद्र सिंह (Coldrif Syrup Ban Shilendra Singh) ने जानकारी दी और कहा- तब आरोप अपनी जगह था, लेकिन मुझे लगा कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है। सिरप को पूरी तरह जिम्मेदार नहीं माना गया था। लेकिन, बच्चों की सुरक्षा पहले थी। मैंने फैसला लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की जानकारी दी। विशेषज्ञ का कहना है कि अगर 29 सितंबर को छिंदवाड़ा प्रशासन ने यह कदम नहीं उठाया होता तो हालात और ज्यादा बदतर होते।
यह भी पढ़ें: Haridwar: नगर निगम की बड़ी उपलब्धि- हरिद्वार जल्द बनेगा “वेनिस सिटी”
क्या है पूरा मामला? (Coldrif Syrup Ban)
कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली श्रीसंत कंपनी बच्चों की किडनी फेल होने से हुई मौत के बाद से लगातार सवालों के घेरे में है। मध्य प्रदेश में इस कफ सिरप को पीने के बाद 14 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हुई थी। इसके बाद से कंपनी विवादों के घेरे में है। जांच किए गए सैंपल में 48.6% डाईथाइलीन ग्लायकॉल पाया गया जो एक जहरीला रसायन था। मध्य प्रदेश पुलिस ने चेन्नई स्थित श्रीसंत फार्मास्यूटिकल मेकर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह कंपनी 1990 में स्थापित हुई थी। हैरानी वाली बात है कि इसे रजिस्टर से हटा दिया गया था। ऐसा तब होता है जब कंपनी नियमित रूप से रेगुलेटरी फाइल जमा नहीं करती है।