Uttarakhand Ke Ratan: पेड़ों की छांव में वंचित बच्चों को दे रहे शिक्षा की क्लास
Uttarakhand Ke Ratan: ऋषिकेश के रहने वाले भुवनेश्वर प्रसाद भारद्वाज (Uttarakhand Ke Ratan) बच्चों के लिए सराहनीय काम कर रहे हैं। दरअसल, भुवनेश्वर प्रसाद भारद्वाज पिछले 7 साल से जंगलों और वंचित समुदायों में मौजूद बच्चों को पढ़ा रहें हैं। उनके अनुसार अगर आपके मन में सच्ची लगन और समर्पण हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है। वह बिना किसी लोभ के समाज में मौजूद परेशानियों को सुलझाने के लिए यह कार्य कर रहे हैं।
भुवनेश्वर प्रसाद ने छोड़ी नौकरी (Uttarakhand Ke Ratan
भुवनेश्वर प्रसाद ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद मल्टीमीडिया एनीमेशन में डिग्री हासिल की और चंडीगढ़ में नौकरी करने चले गए। लेकिन, उनका मन वहां नहीं लगा और वह ऋषिकेश लौट आए। जहां उन्होंने एक आश्रम में प्रबंधक के पद पर काम किया। जब उन्होंने देखा कि कई बच्चे गरीबी और खराब हालात की वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद वर्ष 2017 में उन्होंने नौकरी छोड़ने का बड़ा फैसला लिया और समाज के जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए काम करना शुरू किया।
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जंगलों के बीच पढ़ाई
उन्होंने सबसे पहले बैराज-चीला मोटर मार्ग पर गुर्जरों (rishikesh news viral) के डेरे में शिक्षा देनी शुरू की। वहां के बच्चे पढ़ाई से बिल्कुल भी नहीं जुड़े थे। इसके बाद उन्होंनेमायाकुंड, खारास्रोत और शीशमझाड़ी इलाकों में मछली की गोलियां बेचने वाले बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। इन सब के बाद आप उन्होंने चिड़ियापुर और बागड़ी समुदाय के बच्चों पर ध्यान देना शुरू किया है।
मूलभूत जरूरत का ध्यान (Rishikesh News Today)
भुवनेश्वर केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है बल्कि वह बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी मूलभूत सुविधाओं का भी ध्यान रखते हैं। किताबें, कॉपी, पेंसिल, स्कूल बैग, गर्म कपड़े और भोजन तक की भी व्यवस्था में खुद करते हैं। सभी बच्चे जंगल में पेड़ों की छांव में बैठकर पढ़ते हैं। क्योंकि बच्चों के पास भी पढ़ने का जुनून है। सभी बच्चे शिक्षा से जुड़े हैं और उनकी जिंदगी बदलना शुरू हो गई है।
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जागरूकता फैलाने का काम
वह केवल बच्चों को पढ़ने तक सीमित नहीं है बल्कि वंचित समुदायों में जागरूकता फैलाने का काम भी करते हैं। वह माता-पिता को समझते हैं कि बच्चों के लिए पढ़ाई का क्या महत्व है और यह उनके भविष्य को कैसे सवार सकती है। उनका केवल एक ही उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा अनपढ़ ना रह जाए चाहे वह जंगल में हो।
मन में केवल एक सपना (Uttarakhand Ratan)
भुवनेश्वर का सपना है कि जंगल में रहने वाला कोई भी बच्चा पढ़ाई लिखाई से वंचित न रहें। हर बच्चे को अक्षर का ज्ञान मिले और वह अपनी जिंदगी बेहतरीन बना सके। आने वाले कुछ सालों में वह और अधिक बच्चों तक शिक्षा पहुंचने की योजना में लगे हैं। उनका मानना है कि शिक्षा में ऐसी ताकत है कि वह अंधकारपूर्ण जीवन में भी रोशनी भर सकती है।