उत्तराखंड

Uttarakhand News: अधिकारियों को संपत्ति की जानकारी ना देना पड़ेगा भारी

Uttarakhand News: उत्तराखंड में अब अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का पूरा लेखा-जोखा देना होगा। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का विवरण समय पर देने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों के लिए यह पहले से ही लागू है इसके बावजूद भी कुछ अधिकारी संपत्ति (officers property uttarakhand) का समय पर विवरण नहीं दे रहे थे। ऐसा होने पर मुख्य सचिव ने अब अधिकारियों व कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश दिए हैं। 

संपत्ति की जानकारी देने को तैयार नहीं अधिकारी

राज्य में ऐसे ही बहुत से अधिकारी है जिनकी संपत्ति को लेकर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहते हैं। कई अधिकारियों की संपत्ति की जांच भी पूर्व में करवाई गई है। लेकिन फिर भी कुछ अधिकारी अपनी संपत्ति की जानकारी देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। राज्य में पहले से नियम है कि कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का विवरण देना होगा। लेकिन, कुछ अधिकारी और कर्मचारी इस पर अमल नहीं कर रहे हैं और शासन को अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहे हैं।

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मुख्य सचिव को जारी करने पड़े दिशा निर्देश

उत्तराखंड में अधिकारियों को अपनी वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि भरने के दौरान ही संपत्ति (officers property uttarakhand data) का विवरण देना होता है। यह व्यवस्था पहले से ही लागू है और अधिकारियों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी अपनी संपत्ति का ब्यौरा हर साल देना होता है। लेकिन कई अधिकारियों ने मन मर्जी दिखाते हुए समय पर अपनी संपत्तियों का विवरण नहीं किया। जब बात नहीं बनी तो मुख्य सचिव आनंद वर्धन को इस मामले पर दिशा निर्देश जारी करने पड़े हैं। 

प्रमोशन में आएगी रुकावट (Uttarakhand News)

शासन ने कुछ अधिकारियों द्वारा अपनी संपत्ति ना बताने के मामले को गंभीरता से लिया है। यह बात स्पष्ट रूप से कह दी गई है कि यदि किसी अधिकारी ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा नहीं दिया तो उसके प्रमोशन में रुकावट आ सकती है। सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि 30 जून (chief secretary order) तक भरनी होती है। इस आधार पर ही कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनी संपत्ति का विवरण देना होता है। 

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IAS जैसे बड़े अधिकारी भी देते हैं विवरण

आईएएस, PCS या दूसरे ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों को भी अपनी संपत्ति खरीदने से पहले इसकी जानकारी शासन को देनी होती है। फिलहाल वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि को समय पर भरने को लेकर ही पूरा ध्यान रहता था। लेकिन अब इसके अलावा इस प्रविष्टि को भरने के साथ ही संपत्ति की भी विस्तृत रूप से जानकारी देना जरूरी होगा। प्रविष्टि में मुख्य रूप से राज्य सेवा के अधिकारी संपत्ति का ब्यौरा देने में लापरवाही कर रहे हैं जिन्हें अब नए आदेशों के बाद समय पर प्रविष्टि भरने के साथ संपत्ति का पूरा रिकॉर्ड भी उपलब्ध कराना होगा।

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