Balochistan की आजादी से भारत को कैसे मिलेगी जीत? एक क्लिक में पढ़े
Balochistan: भारत-पाकिस्तान के बीच हुए तनाव में बलूचिस्तान का नाम भी सामने आया है। जहां जुल्म के अंधेरे में भी आजादी की लौ जलती है, वहां एक नाम गूंजता है- बलूचिस्तान। जो सिर्फ एक भू-भाग नहीं बल्कि एक बगावत की दास्तां है। बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होकर अपनी संस्कृति और अपनी भाषा के लिए लड़ना चाहता है। आगे इस आर्टिकल में आपको बलूचिस्तान के इतिहास और भारत-बलूचिस्तान के संबंध के बारे में जानकारी मिलेगी। इसके अलावा यह भी पता चलेगा की अगर बलूचिस्तान (Balochistan) पाकिस्तान से अलग हो गया तो भारत को उससे क्या फायदा होगा।
पाकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा बलूचिस्तान
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा सूबा है। क्षेत्रफल में लगभग 44% पाकिस्तान का हिस्सा है। हैरानी वाली बात यह है कि इतने बड़े इलाके को हमेशा नजरअंदाज किया गया है। इसके साथ ही शोषण और कुचला भी गया है। बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से अपनी संस्कृति, भाषा और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ते आ रहे हैं।
इतिहास की परतें खोले तो क्या दिखता है?
साल 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उस समय बलूचिस्तान (Balochistan History) एक स्वतंत्र रियासत था। इसका राजा खान ऑफ कलात हुआ करता था। 11 अगस्त 1947 को खान ऑफ कलात ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी। लेकिन पाकिस्तान ने 27 मार्च 1948 को बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया था। तब से लेकर अब तक बलूच जनता विरोध और संघर्ष के रास्ते पर मौजूद है।
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Balochistan ने कई बार किया विरोध
पाकिस्तान में कई बार बलूच विद्रोह (Balochistan and Pakistan Dispute) हुआ। साल 1948 से शुरू हुआ विरोध, 1958, 1963, 1973, 2000 और फिलहाल वर्तमान में भी हो रहा है। इतने संघर्ष के बाद भी बलूचिस्तान को विजय हासिल नहीं हुई। हालांकि, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान में हुए तनाव के बाद पाकिस्तान की हालत खस्ता हो गई है। इस स्थिति का फायदा उठाकर बलूचिस्तान संघर्ष कर पाकिस्तान से अलग हो सकता है।
भारत से बलूचिस्तान का रिश्ता
स्पष्ट तौर पर नहीं लेकिन भावनात्मक और रणनीतिक तौर पर भारत और बलूचिस्तान (India and Balochistan Relation) के बीच रिश्ता सही रहा हैं। 1947 से 1948 में जब बलूचिस्तानियों ने पाकिस्तान से आजादी की बात की थी तो भारत ने उसे समर्थन नहीं दिया था। उसे दौरान कश्मीर का मसला चल रहा था।
लेकिन, साल 2016 में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र किया और वहां हो रहे अत्याचारों को उजागर किया था। ऐसा होने के बाद से ही बलूचिस्तान के कार्यकर्ता भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देखने लगे।
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बलूचिस्तान के अलग होने से भारत को क्या फायदा?
अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग हुआ तो भारत को बहुत से फायदे होंगे-
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर लगेगा ब्रेक
बलूचिस्तान में ‘ग्वादर पोर्ट’ है जो चीन (pakistan and china trade) के लिए बहुत अहम माना जाता है। अगर बलूचिस्तान अलग हुआ तो CPEC पर बड़ा झटका लगेगा और इससे भारत को रणनीति बढ़त मिलेगी।
पाकिस्तान की बैकबोन टूट जाएगी
बलूचिस्तान पाकिस्तान को गैस, मिनिरल्स और नेचुरल रिसोर्सेस का बड़ा हिस्सा देता है। बलूचिस्तान के अलग होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति बुरी तरह कमजोर हो जाएंगे।
भारत की विदेश नीति को मिलेगा नया आयाम
अगर बलूचिस्तान एक आजाद देश बन जाता है और भारत से दोस्ती बनाए रखता है। तो भारत को सीधी मध्य एशिया तक पहुंच मिल सकती है। ऐसा होने पर व्यापार, रणनीति और कूटनीति में बड़ा फायदा होगा।
कश्मीर मुद्दे पर जवाबी दबाव
बलूचिस्तान का मुद्दा भारत के पास एक मजबूत नैरेटिव बन सकता है। उदाहरण के लिए जैसे- पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा उठाता है वैसे ही भारत, बलूचिस्तान का मसला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठा सकता है।
क्या भारत करेगा Balochistan की मदद?
भारत सीधे तौर पर बलूचिस्तान (Balochistan News) की सैन्य मदद नहीं कर सकता है। लेकिन, रणनीतिक ही नहीं मानवाधिकार और मीडिया सपोर्ट दिया जा सकता है। जैसे-
- बलूचि नेताओं को भारत में प्लेटफार्म देना।
- वहां के हालात को अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाना।
- पाकिस्तान की क्रूरता को यूएन और दूसरे मंचों पर उठाना।
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क्या चाहते हैं बलूचिस्तान के लोग?
बलूचिस्तान के लोग पहचान, सम्मान और आजादी चाहते हैं। अगर यह बात सच हुई तो भारत के लिए यह एक रणनीतिक जीत ही नहीं होगी बल्कि एक न्याय और मानवाधिकार की जीत भी होगी।